ज़रा हटके
06-Jan-2025
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वाशिंगटन(ईएमएस)। पृथ्वी पर ज्वालामुखी हमेशा से खतरे का एक बड़ा संकेत रहे हैं, और भविष्य में इनकी गतिविधियों से संभावित आपदाओं की आशंका जताई जाती है। ऐसे में वैज्ञानिकों के लिए ज्वालामुखियों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना बेहद जरूरी है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने 19वीं सदी के एक रहस्यमयी और अत्यंत शक्तिशाली ज्वालामुखी की खोज की है, जिसने पूरी पृथ्वी का तापमान लगभग एक डिग्री सेल्सियस तक गिरा दिया था। यह ज्वालामुखी इतना शक्तिशाली था कि इसका असर न केवल आसपास के क्षेत्र में बल्कि समूची पृथ्वी पर महसूस हुआ। यह रहस्यमयी ज्वालामुखी उत्तरी प्रशांत महासागर में स्थित कुरिल द्वीप समूह के सुमिशिर द्वीप पर पाया गया है, जो आज के जापान और रूस के बीच स्थित है। इस ज्वालामुखी का नाम जावरित्स्की रखा गया है, और यह एक ऐसा विस्फोट था, जिसके बारे में वैज्ञानिक पहले जानते थे, लेकिन इसका सटीक स्थान कोई नहीं जानता था। 1831 में हुए इस ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव से उत्तरी गोलार्ध का तापमान गिर गया था, और यह धरती के जलवायु में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का कारण बना। इस विस्फोट से उत्पन्न होने वाले राख और सल्फर के कणों का अध्ययन करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि यह कण ग्रीनलैंड तक पहुंचे थे। इन कणों में मिले सल्फर आइसोटोप ने वैज्ञानिकों को यह जानकारी दी कि यह कण 1831 और 1834 के बीच के ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण उत्पन्न हुए थे। इस खोज ने वैज्ञानिकों को ज्वालामुखी विस्फोट के सटीक स्थान की पहचान करने में मदद की, जो पहले एक गुत्थी के रूप में था। ग्रीनलैंड के बर्फ के टुकड़ों से मिले नमूनों का अध्ययन करने पर, शोधकर्ताओं ने यह पाया कि जावरित्स्की ज्वालामुखी के विस्फोट के कारण जो राख और कण ग्रीनलैंड तक पहुंचे थे, वे वही थे, जो 1831 में सुमिशिर द्वीप के विस्फोट से उत्पन्न हुए थे। यह विश्लेषण इस बात को साबित करता है कि इस विस्फोट का असर पूरी पृथ्वी पर पड़ा था, चाहे वह कितना भी दूर स्थित क्यों न हो। वैज्ञानिकों ने इस खोज को इस लिहाज से महत्वपूर्ण माना कि यह हमें यह समझने में मदद करता है कि पृथ्वी के किसी भी कोने में होने वाला ज्वालामुखी विस्फोट समूचे ग्रह की जलवायु पर प्रभाव डाल सकता है। यह अध्ययन इस बात को भी उजागर करता है कि ज्वालामुखियों का पूर्वानुमान लगाना बेहद कठिन है, विशेष रूप से उन ज्वालामुखियों का जिनका स्थान दूर-दूर तक फैला हुआ है। जावरित्स्की जैसे ज्वालामुखियों के अध्ययन से यह भी संकेत मिलता है कि पृथ्वी पर होने वाले बड़े विस्फोटों का प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के ज्वालामुखी विस्फोटों का इतिहास हमारे लिए महत्वपूर्ण सबक है, जिससे हम भविष्य में इनके प्रभावों को और बेहतर समझ सकते हैं और उनके जोखिम को कम करने के उपायों पर काम कर सकते हैं। वीरेंद्र/ईएमएस 06 जनवरी 2025