अंतर्राष्ट्रीय
05-Jan-2025
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वाशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के वामपंथी अरबपति जॉर्ज सोरोस और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित करने के फैसले ने अमेरिका में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने बाइडेन सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए इसे हास्यास्पद बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सोरोस मानवता के खिलाफ कार्य करते हैं और उनकी नीतियां सभ्यता के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही हैं। मस्क ने अपने बयान में कहा कि सोरोस उन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी का समर्थन करते हैं, जो अपराधों पर कड़ी कार्रवाई करने से इनकार करते हैं। मस्क के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस और तेज हो गई। कुल मिलाकर शनिवार को सोशल मीडिया पर इस घोषणा के बाद गुस्से की लहर दौड़ गई, खासकर सोरोस को दिए गए सम्मान को लेकर। आलोचकों ने इसे बाइडेन प्रशासन का पक्षपाती और विवादास्पद निर्णय करार दिया। वहीं, व्हाइट हाउस ने इस सम्मान के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने अमेरिका की समृद्धि, सुरक्षा और विश्व शांति में उल्लेखनीय योगदान दिया है। हिलेरी क्लिंटन को लेकर प्रशासन ने कहा कि उन्होंने दशकों तक सार्वजनिक सेवा में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। न्यूयॉर्क की पहली महिला सीनेटर बनने से लेकर विदेश मंत्री और फिर डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नामित होने वाली पहली महिला बनने तक, हिलेरी का करियर महिलाओं के लिए प्रेरणादायक रहा है। सोरोस के सम्मान को लेकर कई अन्य आलोचकों ने भी बाइडेन प्रशासन पर निशाना साधा। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे न्याय का मजाक बताया, जबकि अन्य ने कहा कि यह खबर व्यंग्यात्मक लेख जैसी लगती है। मस्क के अलावा, कई अन्य टिप्पणीकारों ने भी सवाल उठाए कि कैसे इन व्यक्तियों को अमेरिका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के योग्य समझा गया। इस विवाद ने न केवल बाइडेन प्रशासन के फैसले को लेकर बहस छेड़ दी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि अमेरिकी राजनीति में विचारधारात्मक मतभेद कितने गहरे हैं। जहां डेमोक्रेट्स ने इस सम्मान का समर्थन किया, वहीं रिपब्लिकन और अन्य आलोचकों ने इसे अनुचित ठहराया। वीरेंद्र/ईएमएस/05जनवरी2025