लखनऊ(ईएमएस)। बसपा प्रमुख मायावती 15 जनवरी को अपना जन्मदिन मनाएंगी, और उसी दिन से पार्टी यूपी में अपनी रणनीति मिशन-2027 की शुरुआत करेगी। इस मिशन के तहत पार्टी पुराने चेहरों की तलाश करेगी, जिनकी वापसी से पार्टी अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को फिर से प्राप्त करने का प्रयास करेगी। साथ ही, बामसेफ (बहुजन समाज पार्टी के समर्थक संगठनों का संघ) को फिर से सक्रिय करने की योजना है, जिससे पार्टी को आर्थिक मदद भी मिल सके। 15 जनवरी के बाद मायावती दिल्ली रवाना हो जाएंगी, जहां वह दिल्ली विधानसभा चुनाव तक रह सकती हैं। इस बीच, यूपी में पार्टी पुराने नेताओं से संपर्क करने की प्रक्रिया शुरू करेगी, खासकर उन नेताओं से, जिन्होंने बसपा छोड़ने के बाद किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं हुए या फिर जो अन्य दलों में हाशिये पर हैं। इन नेताओं को पार्टी में फिर से शामिल कर बसपा अपनी ताकत को बढ़ाना चाहती है। इसके साथ ही, पार्टी बामसेफ को भी फिर से सक्रिय करने की योजना बना रही है, क्योंकि इस संगठन से पार्टी को आर्थिक सहायता मिलती रही है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसमें कमी आई है। पार्टी अब केंद्रीय स्तर पर कुछ कार्यक्रम तय करने की सोच रही है, जो दलितों और पिछड़े वर्गों पर फोकस करेंगे। इन कार्यक्रमों की जिम्मेदारी को-ऑर्डिनेटरों और प्रभारियों को दी जाएगी, जो इन्हें सही तरीके से जमीन पर उतारने की कोशिश करेंगे। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि अगले विधानसभा चुनावों तक यूपी में 10 साल एक ही पार्टी का शासन हो चुका होगा, जिससे कुछ ऐंटी इनकंबेंसी (शासन के खिलाफ असंतोष) की संभावना है। अगर बसपा इस परिस्थिति को एक बेहतर विकल्प के रूप में प्रस्तुत करती है, तो उसे पहले से अधिक लाभ मिल सकता है। यही कारण है कि बसपा अब से ही चुनाव की तैयारी में जुट गई है। मार्च आते-आते यह अभियान और तेज किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी कार्यक्रमों की निगरानी के लिए एक मॉनिटरिंग सेल भी बना सकती है। इस सेल का उद्देश्य कार्यक्रमों के संचालन पर निगरानी रखना और समय-समय पर उनका मूल्यांकन करना होगा। जहां भी कमी या सुस्ती पाई जाएगी, वहां पार्टी सुधारात्मक कदम उठा सकती है, जिससे कार्यक्रमों की प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके। वीरेंद्र/ईएमएस/05जनवरी2025