ज़रा हटके
05-Jan-2025
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टोक्यो (ईएमएस)। भविष्य में ऐसे रोबोट्स आ सकते हैं, जो इंसान की त्वचा को छूकर उनके मन की भावनाओं को समझने में सक्षम होंगे। ताजा अध्ययन के अनुसार, इंसान की भावनाओं का असर उनकी त्वचा पर भी पड़ता है, जिससे तंत्रिका की गतिविधियों और पसीने पर भी प्रभाव पड़ता है। यह भावनाओं को समझने का सबसे सटीक तरीका माना गया है, क्योंकि जब हम किसी के चेहरे के भाव या बोलने के तरीके से उनके मन की स्थिति समझने की कोशिश करते हैं, तो कई बार नतीजे गलत हो सकते हैं। इसका कारण यह है कि हमारी शारीरिक प्रतिक्रियाएं भावनाओं को व्यक्त करने में सटीक नहीं होतीं। टोक्यो मेट्रोपोलिटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में 33 प्रतिभागियों को शामिल किया। उन्हें भावनात्मक वीडियोज दिखाई गईं और उनकी त्वचा के संवेदी कंडक्शन को मापा गया। शोध में यह देखा गया कि जब प्रतिभागी परिवार के रिश्तों से जुड़ी भावनाओं को देख रहे थे, तो उनकी प्रतिक्रियाएं खुशी और गम दोनों की थीं, लेकिन यह प्रतिक्रियाएं थोड़ा धीमा और भ्रमित थीं, क्योंकि इन भावनाओं का मिलाजुला असर था। वहीं, डर जैसी भावनाएं ज्यादा देर तक बनी रहीं और हंसी जैसे मूड जल्दी बदल गए। वैज्ञानिकों के अनुसार, जब भी किसी का मूड बदलता है, तो उसकी भावनाएं भी बदल जाती हैं, और इन बदलावों को त्वचा के संवेदनशील संकेतों से रियल टाइम में पहचाना जा सकता है। यह शोध इस बात का सबूत है कि हम अब मशीनों के जरिए इंसान के अंदर के एहसासों को और अधिक सटीक तरीके से समझने में सक्षम हो सकते हैं। भविष्य में इस तकनीक का उपयोग रोबोट्स में किया जा सकता है, जो हमारी भावनाओं को पहचान कर हमें बेहतर तरीके से समझने की कोशिश करेंगे। वैज्ञानिकों का दावा है कि आने वाले समय में इस तरह के रोबोट्स का विकास होगा जो आपके भीतर के एहसासों को बिना किसी शब्दों के पहचान सकेंगे। सुदामा/ईएमएस 05 जनवरी 2025