छत्तीसगढ़ में हाल ही में उजागर हुए 2000 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया है। यह मामला राज्य के आबकारी विभाग से जुड़ा है, और इसमें असली के साथ नकली होलोग्राम छाप कर उन्हें शराब की बोतलों में चस्पाकर वितरण करने के आरोप लगे हैं। इस घोटाले ने राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाया है। छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग का कार्य शराब उत्पादन, वितरण और बिक्री पर नियंत्रण रखना है। यह विभाग राज्य सरकार के राजस्व में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है। शराब की बिक्री से होने वाली आय सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपयोग में लाई जाती है। हालांकि, हालिया घोटाले ने विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का आरोप है कि राज्य में नकली होलोग्राम का व्यापक स्तर पर छापकर इसका उपयोग किया गया जिससे सरकारी खजाने को अरबों रुपये का नुकसान हुआ। नकली होलोग्राम में शराब के उत्पादन और बिक्री में शराब कंपनियों, वितरकों, और अधिकारियों की मिलीभगत का दावा किया जा रहा है। इससे न केवल राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि इससे उत्पाद की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई। घोटाले की जांच के दौरान यह सामने आ रहा है कि नकली होलोग्राम के उत्पादन और वितरण में विभागीय अधिकारियों, शराब कंपनियों और राजनेताओं के बीच मिलीभगत थी। ईडी ने यह भी कहा है कि शराब माफिया और अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करके मुनाफा कमाने के लिए व्यवस्था का दुरुपयोग किया। कवासी लखमा, जो राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री हैं, इस घोटाले में उनके व उनके बेटे का नाम आ रहा है। लखमा छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र से आते हैं और एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। उन्होंने लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी में रहकर आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम किया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि कवासी लखमा के कार्यकाल में आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार हुआ और नकली होलोग्राम में उनकी संलिप्तता रही। यह आरोप लगाया जा रहा है कि उनकी जानकारी में इस गड़बड़ी को अंजाम दिया गया। हालांकि, कवासी लखमा ने इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने इसे उनके खिलाफ एक साजिश बताया है और कहा है कि यह मामला उन्हें आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के कारण निशाना बनाकर उभारा गया है। लखमा छत्तीसगढ़ की आदिवासी राजनीति का एक बड़ा चेहरा हैं। आदिवासी समाज के बीच उनकी पकड़ और समर्थन मजबूत है। उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपो को राज्य में आदिवासी नेतृत्व और उनकी राजनीतिक सक्रियता को कमजोर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। ईडी ने घोटाले की जांच के तहत राज्य में कई ठिकानों पर छापेमारी की है। 3 जनवरी 2025 को कवासी लखमा को रायपुर में ईडी कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया। उनसे करीब नौ घंटे तक पूछताछ की गई। ईडी ने लखमा और उनके परिवार से संबंधित दस्तावेजों की मांग भी की है। इसके अलावा, घोटाले से जुड़े कई अन्य अधिकारियों और व्यक्तियों से भी पूछताछ की गई है। पूछताछ के बाद, कवासी लखमा ने मीडिया से कहा कि उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि शराब बनाने वाली कंपनियों और वितरकों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। भाजपा और कांग्रेस दोनों इस मामले पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। भाजपा, जो राज्य की सत्ता में है इस घोटाले को भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि बताया है। पार्टी का कहना है कि उनकी सरकार ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम कर रही है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस को घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इसे उनके शासन की विफलता का परिणाम बताया। कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार जांच एजेंसियों का उपयोग विपक्ष को दबाने और आदिवासी नेताओं को बदनाम करने के लिए कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा है कि यह जांच कवासी लखमा के राजनीतिक करियर को समाप्त करने की साजिश है। आदिवासी नेता कवासी लखमा पर लगे आरोपों ने राज्य की आदिवासी राजनीति को अस्थिर कर दिया है। आगे यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला एक गंभीर मुद्दा है जो राज्य की राजनीति, प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, राज्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है। इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की आवश्यकता है, ताकि सच सामने आ सके और दोषियों को सजा मिले। कवासी लखमा का मामला केवल एक नेता के राजनीतिक भविष्य से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समुदाय के अधिकारों और नेतृत्व की स्थिति पर भी प्रभाव डालेगा। ईडी की जांच और इसके परिणाम यह तय करेंगे कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सच्चा कदम है या राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण। राज्य और केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायपालिका और जांच एजेंसियां स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करें। शराब घोटाले की सच्चाई सामने लाना और दोषियों को सजा देना छत्तीसगढ़ के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। .../ 4 जनवरी /2025