राज्य
31-Dec-2024
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भोपाल(ईएमएस)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की मासिक बाल साहित्य गोष्ठी गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों के बलिदान को स्मरण करते हुए गूगल मीट पर संपन्न की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उर्दू अकादमी की निदेशक व अभासप भोपाल इकाई अध्यक्ष डॉक्टर नुसरत मेहदी अपने उद्बोधन में कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद का आयोजन उद्देश्यपूर्ण एवं विचार केंद्रित होता है। आज की गोष्ठी के माध्यम से हम गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को नमन करते हैं। ऐसे प्रेरक प्रसंग बाल साहित्य का अभिन्न अंग हों, इस हेतु आज हमने बाल साहित्य निर्माण के विषयों पर भी चर्चा की है। आज के दौर में बाल साहित्य के माध्यम से स्व का जागरण हो, बाल साहित्यकार इस बात का भी अवश्य ध्यान रखें। साथ ही पंचतंत्र जैसी पुस्तकों को बच्चों को अवश्य पढ़ना चाहिए कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रीय मंत्री एवं निराला सृजनपीठ की निदेशक डॉक्टर साधना बलवटे ने कहा है कि साहित्य परिषद पिछले 20 वर्षों से दिसंबर माह की गोष्ठी वीर बाल दिवस के रूप में करती चली आ रही है। बाल साहित्य लिखते समय परिवार व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बच्चे दादी नानी से संपर्क में बने रहे इस प्रकार का रचना कर्म करना चाहिए। बाल साहित्य से क्या दें ?और कैसे दें? यह चिंतनीय है? जब बड़े लोग आत्म केंद्रित हो जाते हैं तो वही चीज बच्चों में भी आ जाती है इससे बचना चाहिए। साहिबजादों के बलिदान से प्रेरणा लें हमारे बच्चे, देश, धर्म और समाज को जब भी आवश्यकता हो तैयार रहें। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रमेश व्यास शास्त्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के संपूर्ण परिवार ने देश पर बलिदान होकर अपने धर्म की रक्षा की उनके दो बड़े बेटे युद्ध में संघर्ष करते हुए बलिदान हुए और दो छोटे *बेटे जोरावर सिंह व फतह सिंह जिंदा दीवार में चुनवा दिये गये।वीर बालकों के बलिदान से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए ।* गुरु गोविंद सिंह के व्यक्तित्व पर अपनी पुस्तक से प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ कवयित्री जो मुम्बई से जुड़ी कुलतार कौर कक्कर ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह एक अच्छे साहित्यकार भी थे उनका पूरा साहित्य जो है वह सरसा नदी में बह गया। साथ ही जब उनसे अपने पुत्रों की शहादत के बारे में कहा गया तो उन्होंने यह कहा कि मेरे तो चार पुत्र गए हैं ऐसे कई हजार पुत्र जीवित है जो हम देश पर निछावर कर सकते हैं। कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य के साथ बाल साहित्य पर प्रकाश डालते हुए परिषद की महामंत्री श्रीमती सुनीता यादव ने कहा कि- बाल साहित्य एक ऐसी जीवंत कविता है जो ऐसा लगता है कि बच्चा स्वयं बोल रहा है। बचपन को चाहिए उसका अपना भाव बोध,अपनी उत्फुल्ल चंचल अनुभूतियाँ, अपना वास्तविक और काल्पनिक विराट संसार बस इसी की अभिव्यक्ति बाल कविता है। गुरु वंदना डॉक्टर महेश चंद्र शांडिल्य और सरस्वती वंदना खुशी अहिरवार ने प्रस्तुत की ।संचालन करते हुए श्रद्धा जैन ने सभी को अभिभूत कर दिया। बाल कविताओं का पाठ करते हुये इंदौर से हेमलता भारद्वाज, हैदराबाद से नमिता सेन गुप्ता जुड़ी रही। भोपाल से डॉक्टर कुमकुम गुप्ता,पुरुषोत्तम तिवारी राजेश विश्वकर्मा ,श्रीमती सीमा अग्रवाल ,पदमा मोटवानी , मांडवी सिंह, ने भी अपनी रोचक बाल कविता सुनायी। गोष्ठी में आभार श्रीमती सक्सेना ने प्रस्तुत किया साथ ही रोचक बाल कविता बिटिया व सूरज के संवाद पर सुनायी। श्रीमती शीला मिश्रा,डॉ गोपेश वाजपेई राजेंद्र शर्मा अक्षर जी, डॉ. विनीता राहुरीकर , डॉ साधना शुक्ला एवं अन्य साहित्यकार उपस्थित रहे। हरि प्रसाद पाल / 31 दिसम्बर, 2024