लेख
30-Dec-2024
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छत्तीसगढ़ की राजनीति में पूर्व मंत्री कवासी लखमा के निवास और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी ने राज्य के राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। यह घटनाक्रम कानूनी कार्रवाई से आगे बढ़कर सियासी आरोप-प्रत्यारोप का कारण बन गया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बयानबाजी और कवासी लखमा की प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बना दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने रायपुर धरमपुरा स्थित कवासी लखमा के आवास और उनके करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी ने उनके बेटे और जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश लखमा तथा नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के परिसरों को भी जांच के दायरे में लिया। आरोप हैं कि इन स्थानों पर आर्थिक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़े सबूत खोजने की कोशिश की जा रही थी। ईडी का दावा है कि छापेमारी भ्रष्टाचार और धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) से संबंधित मामलों की जांच के लिए की जा रही है। हालांकि, इस कार्रवाई के कानूनी आधार की पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। कांग्रेस पार्टी ने ईडी की इस कार्रवाई को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार विपक्ष के नेताओं को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस ने इसे भाजपा का राजनीतिक बदला बताया। यह छापेमारी जनता का ध्यान भटकाने और कांग्रेस पार्टी की छवि खराब करने की साजिश है। लेकिन कांग्रेस इससे डरने वाले नहीं हैं। भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है और वह कानून के तहत अपना काम कर रही है। भाजपा प्रवक्ताओं का कहना है कि अगर कवासी लखमा निर्दाेष हैं, तो उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। भाजपा का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह हर कानूनी जांच को राजनीतिक रंग देकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। भाजपा का कहना है कि अगर ईडी ने कोई कार्रवाई की है, तो उसके पीछे पुख्ता सबूत होंगे। कांग्रेस हर बार इस तरह के मामलों को राजनीतिक षड्यंत्र का नाम देती है, जबकि हकीकत यह है कि भ्रष्टाचार को खत्म करना हर सरकार का दायित्व है। कवासी लखमा ने ईडी की कार्रवाई को व्यक्तिगत प्रताड़ना बताया। उन्होंने कहा कि अनपढ़ होने का फायदा उठाकर उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है। लखमा ने जोर दिया कि वह निर्दाेष हैं और कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी। लखमा ने कहा कि वह जांच के लिए तैयार हैं, लेकिन यह कार्रवाई केवल उन्हें बदनाम करने के लिए की गई है। उन्होंने कहा, मैंने हमेशा जनता की सेवा की है। मेरे खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं होगा। यह कार्रवाई केवल राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है। इस छापेमारी ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में नए विवादों को जन्म दिया है। कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बता रही है, जबकि भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जरूरी कदम करार दे रही है। राज्य के नागरिक भी इस घटनाक्रम पर बंटे हुए नजर ंआ रहे हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस समर्थक इसे केंद्र सरकार की दमनकारी नीति के रूप में देख रहे हैं, वहीं भाजपा समर्थक इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जरूरी कार्रवाई मान रहे हैं। इस पूरे मामले में स्थानीय जनता की राय भी महत्वपूर्ण है। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में कवासी लखमा की लोकप्रियता काफी अधिक है। उनकी छवि एक जननेता की है, जो हमेशा जनता के लिए खड़े रहते हैं। ईडी की कार्रवाई के बाद उनके समर्थकों में रोष है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह कार्रवाई कानून के दायरे में है और कांग्रेस केवल जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। छत्तीसगढ़ में कवासी लखमा पर ईडी की छापेमारी केवल कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक संघर्ष का संकेत है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। जहां कांग्रेस इसे राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बता रही है, वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम के रूप में पेश कर रही है। आगामी समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह मुद्दा राज्य और राष्ट्रीय राजनीति को किस तरह प्रभावित करता है। क्या यह छत्तीसगढ़ की राजनीति में कांग्रेस की स्थिति को और मजबूत करेगा, या भाजपा इसे अपने पक्ष में भुनाने में सफल होगी? यह सवाल अभी अनुत्तरित है, लेकिन इतना निश्चित है कि यह मुद्दा आने वाले चुनावों में एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है। .../ 30 ‎दिसम्बर /2024