- प्रमुख नीतिगत घटनाओं पर बाजार की बारीकी से नजर रहेगी मुंबई (ईएमएस)। वैश्विक बाजार के मिलेजुले रुख के बीच स्थानीय स्तर पर हुई लिवाली की वजह से करीब एक प्रतिशत की बढ़त पर रहे घरेलू शेयर बाजार की नजर इस सप्ताह भारत, अमेरिका और चीन की पीएमआई एवं वाहन बिक्री के आंकड़ों पर रहेगी। विश्लेषकों के अनुसार महत्वपूर्ण उत्प्रेरकों की अनुपस्थिति के कारण, इस सप्ताह बाजार हल्के सकारात्मक झुकाव के साथ सपाट बंद हुआ। बैंकिंग और फार्मा क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन ने आईटी क्षेत्र में गिरावट को संतुलित किया, जिससे प्रमुख सूचकांकों को स्थिरता मिली। मिडकैप और स्मॉलकैप के शेयर भी मामूली उतार-चढ़ाव के साथ सपाट बंद हुए। बाजार की सुस्त प्रवृत्ति में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट प्रमुख रही। इन कारकों ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ाया। अमेरिका के टैरिफ में संभावित वृद्धि और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की वर्ष 2025 तक ब्याज दरों में कटौती की कम संभावना निवेश धारणा को कमजोर कर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आर्थिक नीतियों और ऊंचे मूल्यांकन पर अनिश्चितता विशेष रूप से उभरते बाजारों में अल्पकालिक दबाव बना सकती है। साथ ही अमेरिकी डॉलर की मजबूती और बॉन्ड यील्ड में वृद्धि एफआईआई की पूंजी निकासी को तेज कर रही है। हालांकि, निकासी की सीमित मात्रा ने बाजार को कुछ राहत प्रदान की है। आगे चलकर, घरेलू और वैश्विक आर्थिक संकेतकों के साथ-साथ प्रमुख नीतिगत घटनाओं पर बाजार की बारीकी से नजर रहेगी, जो निकट भविष्य में इसकी दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस सप्ताह बाजार की नजर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के कंपनियों के नतीजे पर रहेगी, जो बाजार की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। निवेशक बजट-पूर्व अपेक्षाओं के आधार पर अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं, जिससे रणनीतिक पुनर्संतुलन देखने को मिलेगा। साथ ही भारत, अमेरिका, और चीन के पीएमआई आंकड़े और अमेरिकी बेरोजगारी दावों जैसे प्रमुख आर्थिक संकेतक निवेशकों की धारणा को प्रभावित करेंगे। इनके अलावा दिसंबर में वॉल्यूम में बढ़ोतरी और मूल्यांकन में सुधार की संभावनाओं के चलते ऑटोमोबाइल क्षेत्र के बाजार की सुर्खियों में रहने की संभावना है। कुल मिलाकर, निकट भविष्य में बाजार की दिशा मुख्य रूप से कंपनियों के तिमाही नतीजे, आर्थिक आंकड़ों और निवेशकों की बजट से जुड़ी उम्मीदों पर निर्भर करेगी। सतीश मोरे/29दिसंबर ---