मावठे की बारिश से खुले में पड़ी हजारों क्विंटल धान भींगी भारतीय किसान संघ व कृषक समाज ने की जवाबदेही तय करने की मांग जबलपुर, (ईएमएस)। धान खरीदी के बाद परिवहन और उठाव में विलंब होने से हजारों क्विंटल धान खुले में पड़ी में रही जो शनिवार की सुबह बारिश में भींग गई। फसल बर्बाद होने से किसान परेशान हो गया। भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी खेत खलिहान पहुंचे और बारिश से बर्बाद धान का जायजा लिया। किसानों की सुध लेने के लिए कोई प्रशासनिक नुमाइंदा नहीं पहुंचा। किसानों में आक्रोश व्याप्त हैं। खरीदी केंद्रो के बाहर पड़ी खुली धान पानी में भीग गई। मोटर पंप लगाकर पानी को निकाला गया। सबसे ज्यादा पाटन, तहसील, मझौली ग्राम बरौदा, गोसलपुर में बदइंतजामी के चलते बेमौसम बारिश से गोदामों के बाहर रखी किसानों की धान खराब हो गई। किसानों की मेहनत पर प्रशासन ने पानी फेर दिया। शनिवार की सुबह बारिश के बाद धान खरीदी की व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ गईं। हफ्तों से खरीदी केन्द्रों में खुला पड़ा अनाज बारिश के कारण भीग गया और किसान अपने अनाज को बचाने के लिये कुछ भी नहीं कर पाया। सिस्टम की लापरवाही से किसान कराह उठा। जिले के सिहोरा, कटंगी, पाटन, शहपुरा खरीदी केंद्रों के बाहर मण्डियों में पड़ा लाखों क्विंटल अनाज बारिश में भीग गया। हवा पानी से धान को बचाने किसानों को तिरपाल तक नसीब नहीं हुई। किसान केंद्रों में माल लेकर एक पखवाड़े से तुलाई का इंतजार कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट निर्देश दिये गये थे कि खरीदी केन्द्रों में किसानों की सुविधाओं का ख्याल रखा जाए। बैठने की सुविधा, पीने के पानी की सुविधा के साथ-साथ, तिरपाल वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में रखने के निर्देश दिये गये थे। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण मण्डियों में ये इंतजाम नहीं हो पाये थे मौसम कार्यालय की चेतावनी के बाद शुक्रवार की रात आनन फानन में खुली धान में तिरपाल से ढका गया लेकिर बहुत बड़ी मात्रा में धान खरीद ली गई थी और खुले में पड़ी थी वह भींग गई| सैकड़ों क्विंटल धान पानी में भीग गया। खुले में रखा धान तो भीगा ही, साथ ही शेड में रखा धान भी बौछारों में भीग गया। किसानों का कहना है कि वारदाने की कमी बताकर तुलाई को टाला गया। पिछले एक हफ्ते से किसान मंडियों में अनाज लेकर बैठा हुआ है पर उसकी तुलाई नहीं हो पाई। जिसका नतीजा कल हुई जरा सी बारिश में बर्बादी के रूप में नजर आया। इसके लिये जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए और दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए। इसीलिए किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य में बेचने की बजाय बिचौलियों और व्यापारियों को बेचकर जल्दी निजात पा लेते हैं, ताकि थोड़े से नुकसान से बड़ा नुकसान न उठाना पड़े। आखिर वही हुआ जिसकी संभावना थी : अग्रवाल........ भारत कृषक समाज के महाकौशल अध्यक्ष इंजी. केके अग्रवाल ने कहा कि 15 दिन पूर्व से मौसम विभाग की चेतावनी को नजर अंदाज कर प्रशासन ने, शुक्रवार की शाम को आनन फानन मे तिरपाल से धान का ढकने का थोथा प्रयास किया| सिस्टम की नाकामी उजागर हो गई| तिरपाल तो ऊपर से ढँक जायेगा, पर खेत मे लगे ढेर व बोरों मे भर कर रखा माल जिसमे चारों तरफ पानी भर गया है, नीचे से अंदर पानी घुस गया है, वह कैसे बचेगा| उन्होंने कहा कि प्रशासन ने कोई चमत्कारी उपाय बताये| उपार्जन नीति और सिस्टम की खामियों के साथ प्रशासन की अनदेखी व लापरवाहियों का शिकार आखिर किसान हो ही गया। किसानों के गैर राजनैतिक, वर्ग विहीन, राष्ट्रीय संगठन भारत कृषक समाज के.. के के अग्रवाल एवं सुभाष चंद्रा ने मुख्यमंत्री एवं कलेक्टर को ई मेल से भेजे गये पत्र मे कहा है की.... सरकार को किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी उठानी चाहिए| सुनील साहू / मोनिका / 28 दिसम्बर 2024/ 5.17