व्यापार
28-Dec-2024
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नई दिल्ली (ईएमएस)। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होता जा रहा है। शुक्रवार को रुपया और कमजोर होकर सबसे निचले स्तर पर आ गया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे की गिरावट के साथ रुपया 85.50 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। आंकड़ों से साफ तौर पर पता चलता है कि देश में इंपोर्टेड सामानों का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसमें सबसे ज्यादा उछाल सोने में देखने को मिला है। यह इस साल नवंबर के महीने में 50 फीसदी से बढ़कर 49.08 अरब डॉलर पहुंच गया है। भारत सरकार ने जैसे ही कस्टम ड्यूटी 15 से घटाकर 6 प्रतिशत कर दी। इसके बाद सोने के आयात में काफी तेजी देखने को मिली है। रुपये में गिरावट के कारण इकोनॉमी पर भी काफी दवाब बढ़ रहा है। जैसे-जैसे रुपये में गिरावट आ रही है, वैसे-वैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की टेंशन बढ़ सकती है। रुपये को और ज्यादा लुढ़कने से रोकने के लिए आरबीआई को पिछले कुछ महीनों के दौरान करेंसी बाजार में बार-बार दखल देनी पड़ी है। इस वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट दिखाई दी है। 4 अक्टूबर से 6 दिसंबर 2024 के बीच, आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर से घटकर 654.857 अरब डॉलर ही रह गया। उदाहरण के तौर पर 100 डॉलर कीमत वाले किसी उत्पाद के आयात के लिए अगर एक साल पहले 8300 रुपये देने पड़ते, अब 8,500 रुपये चुकाना होगा। डॉलर महंगा होने का सीधा असर आयात होने वाले कच्चे तेल पर भी पड़ता है। अगर इसके कारण तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, तब परिवहन की लागत भी काफी बढ़ती है और बाकी चीजें महंगी होने के भी आसार होते हैं। आशीष दुबे / 28 दिसंबर 2024