राष्ट्रीय
26-Dec-2024


नई दिल्ली (ईएमएस)। ओडिशा के ऐतिहासिक समुद्री तट की पृष्ठभूमि में जहां प्राचीन समुद्री इतिहास की कहानियां आज भी लोककथाओं में जीवित हैं, पूर्वी भारत का विकास अब सुर्खियों में आ रहा है। बीते एक दशक में क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि, रणनीतिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की संभावनाओं पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। पूर्वी भारत को आगे लाने का विचार नया नहीं पूर्वी भारत को देश के आर्थिक केंद्र में लाने की कहानी नई नहीं है। दशकों पहले राष्ट्रीय नेताओं ने क्षेत्र की खनिज संपदा, सांस्कृतिक विविधता और समुद्री इतिहास की ओर ध्यान दिलाया था। बिहार के उपजाऊ मैदानों से लेकर झारखंड के खनिज क्षेत्रों तक पश्चिम बंगाल के बंदरगाहों से आंध्र प्रदेश के तटों और ओडिशा की समुद्री धरोहर तक यह विशाल क्षेत्र हमेशा से राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों में अपनी धाक दिखाने की ताकत रखता है। हालांकि लंबे समय तक यह विकास का वादा केवल बातों तक ही सीमित रहा। कई जानकार मानते हैं कि पूर्वी भारत निवेश, बुनियादी ढांचे और नवाचार के मामले में पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों से पिछड़ गया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई कदम उठाए गए हैं जो इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने की ओर बढ़ रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी की सरकार पूर्वी भारत को विकसित भारत के लक्ष्य का अहम हिस्सा बताती है। जुलाई 2024 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में पूर्वोदय योजना की घोषणा की। योजना बिहार, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के समग्र विकास पर केंद्रित है। 2015 में शुरू हुई थी पूर्वोदय की बात यह ध्यान रखना जरूरी है कि पूर्वोदय का विचार नया नहीं है। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा के पारादीप में एक बड़ी तेल रिफाइनरी परियोजना को समर्पित कर पूर्वी भारत के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर पूर्वी भारत विकसित नहीं होगा, तब देश का दीर्घकालिक विकास अधूरा रहेगा। आज पूर्वोदय योजना प्रधानमंत्री की उसी सोच को रणनीतिक तरीके से लागू करने का प्रयास है। इस क्षेत्र में हो रहे प्रयास न केवल बुनियादी ढांचे और निवेश को गति देंगे बल्कि इसे देश की विकास यात्रा का केंद्र भी बनाएंगे। पूर्वी भारत का यह पुनर्जागरण न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। आशीष दुबे / 26 दिसंबर 2024