ढाका (ईएमएस)। बांग्लादेश को इस साल शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटाने के कारण उथल-पुथल का सामना करना पड़ा। घटनाक्रम ने भारत के साथ बांग्लादेश के पारंपरिक रूप से मजबूत संबंधों पर भी असर डाला। दोनों देशों के संबंध और तनावपूर्ण होते जा रहे है, क्योंकि बांग्लादेश अब भारत से हसीना का प्रत्यर्पण चाहता है। अगस्त में हजारों लोगों ने रैली निकाली। सेना ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बलप्रयोग नहीं करने का फैसला किया और हसीना आनन फानन में बांग्लादेश छोड़कर भारत चली गईं। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता 84 वर्षीय मुहम्मद यूनुस को छात्र प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना था। यूनुस का हसीना सरकार के साथ लंबे समय से विवाद रहा था। वहीं यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के आठ अगस्त को सत्ता में आने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव है। पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों पर हमलों की बाढ़ सी आ गई है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस महीने की शुरुआत में ढाका की यात्रा के दौरान इस संबंध में भारत की चिंता को व्यक्त किया था। ‘थिंक टैंक’ बांग्लादेश एंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट (बीईआई) के प्रमुख पूर्व राजनयिक हुमायूं कबीर ने कहा, ‘भारतीय विदेश सचिव की यात्रा ने संकेत दिया है कि भारत बदली हुई वास्तविकता को स्वीकार कर बांग्लादेश के साथ सामान्य संबंध बनाए रखने के लिए उत्सुक है। वे स्पष्ट तौर पर हसीना सरकार के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों का जिक्र कर रहे थे। हाल के सप्ताह में हसीना ने यूनुस के नेतृत्व वाले प्रशासन पर ‘नरसंहार’ करने और अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। अंतरिम सरकार ने भारत को राजनयिक संदेश भेजकर उसके प्रत्यर्पण की मांग की है। एक समय में शक्तिशाली नेता रही हसीना की आवामी लीग का भाग्य अधर में लटका हुआ है, क्योंकि छात्र नेता चाहते हैं कि हसीना की पार्टी को अगले चुनाव से बाहर रखा जाए और उन्होंने पार्टी को ‘फासीवादी बताया है। पहले भारत में उप उच्चायुक्त और बाद में अमेरिका में राजदूत के रूप में कार्य कर चुके एक जानकार ने कहा, यह अनुमान लगाना अभी कठिन है कि अगले चुनाव के दौरान प्रमुख दलों की भागीदारी के संदर्भ में परिदृश्य क्या होगा।’ वहीं ‘विजय दिवस’ के मौके पर अपने भाषण में यूनुस ने संस्थापक नेता और हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान का कोई उल्लेख नहीं किया। यह दिन बांग्लादेश की मुक्ति का दिन है और इसी दिन करीब एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। बांग्लादेश ने पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर करने के साथ अपनी मुद्राओं से शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके बजाय, नए नोटों पर धार्मिक संरचनाओं, बंगाली परंपराओं और जुलाई विद्रोह की तस्वीरें होंगी। केंद्रीय बैंक के अनुसार, अंतरिम सरकार के निर्देश पर 20, 100, 500 और 1,000 टका के बैंक नोट छापे जा रहे हैं। अंतरिम सरकार ने रहमान की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में 15 अगस्त को होने वाले राष्ट्रीय अवकाश को बंद कर दिया है। इसी दिन रहमान की हत्या कर दी गई थी। अंतरिम सरकार ने अब तक आम चुनाव के लिए कोई खाका घोषित नहीं किया है। लेकिन ‘विजय दिवस’ के भाषण में यूनुस ने कहा कि आम चुनाव 2025 के अंत या 2026 की पहली छमाही में हो सकते हैं। आशीष दुबे / 26 दिसंबर 2024