नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत में विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर है, क्योंकि भारत में अलग-अलग धर्म के लोगों द्वारा अपने विशेष भगवानों की पूजा होती है। परन्तु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के कुछ सम्प्रदाय के लोगों द्वारा भगवान की ही नहीं, बल्कि राक्षसों की भी पूजा की जाती है और लोगों में उनके प्रति आस्था भी है। दुर्योधन मंदिर (कोल्लम, केरल) महाभारत के खलनायक दुर्योधन को भी बुरे पत्रों में गिना जाता हैं, क्योंकि महाभारत में पांडवों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रखने वाला यही था। दुर्योधन कौरवों का सबसे बड़ा भाई था। यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। मंदिर को मलंदा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। पूजा के दौरान मंदिर में सुपारी, अरक और लाल कपड़े चढ़ाए जाते हैं। इसमें कोई गर्भगृह या मूर्ति स्थापित नहीं की गई है। केवल एक उठा हुआ मंच है, इस मंडपम कहा जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, जब पांडव वनवास में थे, तब दुर्योधन उनकी तलाश में केरल के दक्षिण के जंगलों में गया था। जब दुर्योधन कोल्लम पहुंचा, तब कुर्वा समुदाय की एक अछूत बूढ़ी औरत ने दुर्योधन को पीने के लिए पानी दिया। तब दुर्योधन ने लोगों की भलाई की कामना करते हुए वहां के ग्रामीणों को कृषि भूमि का एक बड़ा टुकड़ा दान किया था। कहा जाता है कि यह मंदिर उसी स्थान पर बनाया गया है जहां दुर्योधन प्रार्थना और ध्यान में बैठे थे। दुर्योधन के प्रति उनकी समान आस्था के कारण कुर्वा समुदाय के लोग आज भी मलंदा दुर्योधन मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा करते हैं। श्री दशानन मंदिर (कानपुर, उत्तर प्रदेश) उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवला इलाके में 133 वर्षीय दशानन मंदिर राजा गुरु प्रसाद शुक्ल द्वारा 1890 में बनाया गया था। हर साल दशहरा पर भक्तों के लिए मंदिर के द्वार खुलते है। मंदिर के निर्माण के पीछे का मकसद यह था कि रावण एक ज्ञानी विद्वान था और भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त, इसकारण मंदिर का निर्माण जिले के शिवला इलाके में भगवान शिव मंदिर के परिसर में किया गया था। दशहरा के दिन हर साल भक्तों द्वारा आरती की जाती है, मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं और मंदिर में त्यौहार मनाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। शकुनि मंदिर (कोल्लम, केरल) सभी जानते हैं कि जिसकी वजह से महाभारत में पांडवों का वनवास हुआ था वे दुर्योधन के मामा शकुनि ही थे। चौसर की चालों में शकुनि माहिर थे और इसी वजह से पांडव अपना सब कुछ हार गए थे। इस कारण से महाभारत की शुरुआत हुई थी। इस नकारात्मक छवि के कारण ही शकुनि खलनायकों में गिने जाते है। यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। यह एक बहुत प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में भक्त शकुनि की पूजा नारियल और रेशम के कपड़े से करते हैं और यहां पर तांत्रिक क्रियाए भी होती हैं। पूतना का मंदिर (उत्तर प्रदेश) उत्तर प्रदेश के गोकुल में पूतना का मंदिर हैं जिसने श्री कृष्ण को दूध पिलाकर मारने का प्रयास किया था। इस मंदिर परिसर में पूतना कि श्री कृष्ण भगवान को दूध पिलाते हुए लेटी हुई प्रतिमा है। इस मंदिर की मान्यता है कि मारने के उद्देश्य से ही सही लेकिन पूतना ने मां के रूप में श्री कृष्ण भगवान को दूध पिलाया था। अहिरावण मंदिर (झांसी, उत्तर प्रदेश) अहिरावण रावण का भाई था। यह मंदिर झांसी शहर में पचकुइंया इलाके में स्थित है। यह करीब 300 साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी के साथ अहिरावण और उसके भाई महिरावण की भी पूजा की जाती है। हिडिम्बा मंदिर (मनाली, हिमाचल) प्राचीन मंदिर आसपास की हरी-भरी हरियाली और हिमालय पर्वतों से घिरा हुआ है। मंदिर डूंगरी शहर के पास स्थित है। कथाओं के अनुसार भीम और पांडव मनाली से जब जा रहे हैं, तब भीम ने हिडिम्बा से शादी की थी। एक और कथा के अनुसार, जब हिडिम्बा का बेटा घटोत्कच बड़ा हुआ उन्हें राज्य की देखभाल का जिम्मा देकर, हिडिम्बा जंगल में ध्यान करने चली गईं। कई साल बाद उनकी प्रार्थना सफल हुई और देवी का गौरव प्राप्त हुआ। इस मंदिर को महाराजा बहादुर सिंह ने बनवाया था। आशीष दुबे /ईएमएस 25 दिसंबर 2024