| मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को सत्ता तक पहुंचा दिया ,लेकिन दुर्भाग्य देखिये कि किसी भी चुनाव में बहनों की तरह भाइयों को किसी भी राजनीतिक दल ने लाडला नहीं माना। लाड़ली या लाडला का मतलब होता है प्रिय । बुंदेली में इसे हिजगरा कहते हैं। मध्यप्रदेश में मप्र लोकसेवा आयोग के खिलाफ आंदोलन कर रहे युवकों ने कहा है की उन्हें भी बहनों की तरह सरकार लाडला माने और भत्ता नहीं रोजगार दे। संसद के मकर द्वार पर धक्का-मुक्की की सर्खियों में मप्र के युवाओं का आंदोलन कहीं दबकर रह गया । आपको बता दें कि इंदौर में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के खिलाफ छात्रों का धरना प्रदर्शन चार दिन से जारी है। छात्र अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आयोग के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। चौथे दिन प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने ‘मातम’ मनाया और कहा कि आज लाड़ली बहना अपनी किस्मत पर रो रही हैं। हम भी लाड़ली बहना हैं लेकिन हमें महीने के 1250 रुपए नहीं, बल्कि एक अच्छी नौकरी चाहिए। कड़ाके की सर्दी में आंदोलनरत छात्र-छात्राओं की मुख्य माँगें 87/13 फॉर्मूला लागू कर सभी परिणाम सौ प्रतिशत जारी करने । 2019 की मुख्य परीक्षा की कॉपियां दिखने और मार्कशीट जारी करने की है ।छात्र 2023 राज्य सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम तुरंत जारी करने और एमपीपीएसी 2025 के लिए राज्य सेवा में 700 और वन सेवा में 100 पदों के साथ नोटिफिकेशन जारी करने की भी मांग कर रहे है। मप्र के छात्र भर्ती प्रक्रिया में सुधार, छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की तरह मुख्य परीक्षा की कॉपियां जांचने की मांग भी कर रहे हैं कर रहे हैं।प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इंदौर में रहते हुए इन छात्र-छात्रों से मिलने से इंकार कर दिया। आपको बता दें की मप्र सरकार ने लाड़ली बहना योजना के लिए इसी साल के पूरक बजट में 450 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। लाड़ली बहन योजना के चलते मप्र में भाजपा सरकार 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीती। इसी योजना को लागू कर महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 2024 में विधानसभा का चुनाव प्रचंड बहुमत से जीता और इसी योजना की नकल ने झारखण्ड में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को विधानसभा का चुनाव जितवा दिया। झारखण्ड में इस योजना का नाम महतारी योजना है। यानि सरकारें इस तरह की योजनाओं से महिलाओं को वोट बैंक में तब्दील कर चुनाव तो जीत रहीं है लेकिन इन्हीं बहनों के पतियों और बच्चों को रोजगार के लिए कोई सरकार तैयार नहीं है। नौकरी के लिए परीक्षाएं देकर नतीजों का इन्तजार लाड़ली बहनों के पतियों और बच्चों को आंदोलन के लिए मजबूर कर रही है। मप्र में लाड़ली बहनों को 1250 रूपये ,महाराष्ट्र में 2100 रूपये और झारखण्ड में 3000 रूपये प्रति माह दिए जा रहे हैं। इस तरह की योजना दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने भी इसी तरह की योजना बनाई है। ये योजना फ्रीबिज के तहत आती है। लाड़ली बहना योजना के जनक मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। उन्होंने ने ही लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई थी। मप्र की इस योजना भाजपा के लिए संजीवनी साबित हुई। भविष्य में भी अधिकांश राजनीतिक दल इसी तरह की योजनाओं पर जोर दे रहे हैं। युवाओं को रोजगार की योजनाआयेँ बनाने और उनके ऊपर अमल करने के बजाय मुफ्त में पैसा बांटना ज्यादा आसान होता है। अब देखते हैं कि आने वाले दिनों में लाडले भाइयों को लाड़ली बहनों की तरह आर्थिक सुरक्षा मिलती है या नहीं।