क्या 2025 में होगी दुनिया में शांति कायम लंदन (ईएमएस)। 2024 में दुनिया के कई हिस्सों में युद्धों का सिलसिला जारी है। युद्धों ने ना केवल लाखों जिंदगियों को प्रभावित किया, बल्कि समृद्धि और शांति के उन सपनों को भी चोट पहुंचाई जो कोरोना माहमारी के बाद दुनिया ने साझा किए थे। रूस-यूक्रेन, इस्राइल-फिलिस्तीन, चीन-ताइवान, भारत-चीन और पाकिस्तान सहित कई देश युद्ध की विभीषिका से गुजर रहे हैं। इन संघर्षों ने दुनियाभर में शांति की उम्मीदों को और कमजोर किया है। लेकिन, क्या 2025 में शांति की कोई संभावना है? रूस-यूक्रेन युद्ध की स्थिति रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को फरवरी 2022 में शुरू हुए करीब तीन साल हो चुके हैं। इस दौरान यूक्रेन ने अपने कुछ हिस्सों को फिर से अपने नियंत्रण में लिया है, लेकिन रूस अभी भी यूक्रेन के 18 प्रतिशत हिस्से पर काबिज है। दोनों देशों के बीच घमासान संघर्ष में लाखों नागरिक मारे गए हैं, और करोड़ों लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। हालाँकि, अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संघर्ष को समाप्त करने की संभावना जताने से कुछ आशाएं बंधी हैं, फिर भी फिलहाल युद्ध रुकने का कोई ठोस संकेत नहीं है। इस्राइल-फिलिस्तीन संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इस्राइल पर जबरदस्त हमला किया, जिसके बाद गाजा पट्टी में युद्ध तेज हो गया। दोनों पक्षों के बीच मुठभेड़ों में हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हुए। युद्ध की स्थिति ने मिडिल ईस्ट के अन्य देशों को भी प्रभावित किया है, खासकर लेबनान के हिजबुल्लाह संगठन और यमन के हूती विद्रोहियों ने भी इस्राइल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस्राइल-फिलिस्तीन संघर्ष को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय प्रयास कर रहा है, लेकिन फिलहाल शांति की संभावना बेहद कम दिखाई दे रही है। सीरिया का गृहयुद्ध सीरिया में गृहयुद्ध 2011 से जारी है, और अब तक लाखों लोग इस जंग की चपेट में आ चुके हैं। संघर्ष में असद सरकार और विद्रोही समूहों के बीच लगातार हिंसा होती रही है। 2024 में विद्रोही समूहों ने अलेप्पो पर कब्जा कर लिया, और असद सरकार के समर्थकों की मदद से संघर्ष जारी है। हालांकि, सीरिया में विभिन्न गुटों के बीच सत्ता संघर्ष के कारण स्थिति अभी भी अस्थिर बनी है। आईएसआईएस के पुनरुत्थान की भी आशंका है, जो 2025 में देश की शांति को और खतरे में डाल सकता है। चीन और ताइवान: युद्ध की आहट चीन ने 2024 में ताइवान के करीब अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं। चीन ताइवान को अपनी सीमाओं का हिस्सा मानता है, और ताइवान को अपने कब्जे में लेने की धमकी देता रहा है। इस तनाव के बीच अमेरिका ताइवान का प्रमुख समर्थन करता है, और यदि यह संघर्ष युद्ध में बदलता है, तब प्रशांत क्षेत्र में एक बड़ा युद्ध देखने को मिल सकता है। चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के कारण एशिया और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। भारत और पाकिस्तान: सीमा विवाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा ही तनावपूर्ण रहे हैं, और 2024 में भी सीमा पर तनाव बना हुआ है। हालांकि दोनों देशों के बीच शांति की कुछ उम्मीदें जताई जा रही हैं, लेकिन राजनीतिक मतभेद और आतंकवादी गतिविधियों के कारण युद्ध की स्थिति का खतरा अभी भी बरकरार है। दोनों देशों के रिश्ते तब सुधर सकते हैं जब पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर भारत के साथ ठोस कदम उठाए। नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच तनाव नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच पिछले कुछ दशकों से तनाव चरम पर है। 2024 में उत्तरी कोरिया ने द.कोरिया पर ड्रोन हमलों की धमकी दी है, जिससे दोनों देशों के बीच एक और युद्ध का खतरा बढ़ गया है। इस तनाव के बीच दक्षिण कोरिया के आंतरिक राजनीति में भी उथल-पुथल मची हुई है, जिससे युद्ध की आशंका और भी बढ़ गई है। साउथ चाइना सी विवाद साउथ चाइना सी में चीन के वर्चस्व को लेकर कई देशों में विवाद हैं, और यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण है। चीन इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि अन्य देशों का भी यहां पर दावा है। 2024 में इस विवाद ने और भी गंभीर रूप ले लिया है, और 2025 में इस क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है। नया साल, नई उम्मीदें 2025 में कुछ संघर्षों में शांति की संभावना की उम्मीदें है, लेकिन यह भी सच है कि कई युद्ध अभी भी जारी हैं और वैश्विक शांति के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। युद्धों के इस दौर में सभी देशों को मिलकर शांति के प्रयासों को मजबूत करना होगा, ताकि 2025 में विश्व में शांति की एक नई शुरुआत हो सके। आशीष/ईएमएस 22 दिसंबर 2024