क्रेप व प्लास्टिक से बने फूलों की डिमांड को देखते हुए जल्द ही इसको बनाने जेना भिलाई में लगायेंगे उद्योग दुर्ग (ईएमएस)। देश विदेश में फूलों का अपना संस्कार है। आदिकाल से देवी-देवताओं में फूल चढ़ाने, शादी-व्याह में सजावट के लिए तो होता है, स्वागत सत्कार के लिए गुलदस्ता देने की प्रथा चल निकली है, वहीं वेलेन्टाईन डे पर गुलाब की एक कली की कीमत 5 रूपये से बढकर 25 रूपये तक पहुंच जाता है। भिलाई नगर में पिछले 40 सालों से फूलों का सांई मंदिर सेक्टर-6 में व्यवसाय करने वाले अरूण जेना का कहना है कि सभी धर्मों में फूलों की काफी मांग रहती है। हर धर्म में फूल से अपने अराध्य की पूजा अर्चना करते है, वहीं जन्म से लेकर मृत्यु तक फूल भी साथ निभाते हैं। इन दिनों प्रदेश में फूलों की खेती के प्रति लोग आकर्षित हो रहे है, लेकिन आज भी हम देश ही नही विदेशों पर भी आश्रित है। कभी कभी जब मांग बढ जाती है तब विमानों से भी फूल मंगाई जाती है। वर्तमान में प्रदेश के कई क्षेत्रों में गुलाब, गेंदा, सेवंती, कमल, जूही, चम्पा-चमेली, के फूलों का उत्पादन आवश्यकता से बहुत कम उत्पादित हो रहे है, इस कारण महाराष्ट्र से आयात करना पड़ता है। अपने फूलों के व्यवसाय में 50 से अधिक लोंगों को रोजगार दे रहे अरूण जेना भविष्य में कागज के रंग-बिरंगे फूलों की मांग को देखते हुए औद्योगिक क्षेत्र में कागज व क्राफ्ट से फूल बनाने का उद्योग प्रारंभ करना चाहते है। आज कल बड़े-बड़े शादी-व्याह में मंडप से लेकर सेज सजाने में कागजी व क्राफ्ट फूलों का व्यापक मात्रा में उपयोग होने लगा है। इस तरह से आकर्षक रंग बिरंगे कागज व क्राफ्ट के फूल जो महिनों चलता है कि काफी मांग है। इस उद्योग के प्रारंभ हो जाने से इस क्षेत्र में सैकड़ों लोगों को काम मिलनाप्रारंभ हो जायेगा। अंत में श्री जेना ने कागज से कैसे फूल बनाते है, इसेस्वयं बनाकर दिखाया एवं बताया कि प्लास्टिक के तने, फूल, पत्तियों कानिर्माण भी भविष्य में अपने उद्योग मेें बनाने का कार्य करेंगे और जनताकी हर प्रकार के फूलों की मांग पूरा करने का प्रयास जारी रखेंगे। अंत मेंउन्होंने बुजुर्गों को पर्यावरण से जोडऩे चीनी के बर्तनों में फूलों केपौधे लगाकर कई पेट्रोल पंपों के परिसर में रखेंगे जिसे वे न्यूनतम मूल्यमें खरीदकर अपने घर में सुख शांति ला सकेंगे। ईएमएस / 21/20/2024