रेटिनापैथी, ग्लू कोमा, ऑक्युसलर इमरजेंसी एवं कॉर्निया, टांस्लाप ण्ट पर विशेषज्ञों ने दी जानकारी भोपाल (ईएमएस)।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भोपाल द्वारा नेत्र स्वास्थ्य पर चिकित्साए अधिकाारियों और कम्युसनिटी हेल्थ् ऑफिसर के लिए 22 दिसंबर को उन्मुखीकरण कार्यशाला जिला पंचायत भोपाल में आयाेेेजित की गई। कार्यशाला में गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रो. डॉ. विवेक सोम द्वारा डायबिटिक रेटिनापैथी व ग्लूककोमा एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रो. डॉ. भावना शर्मा द्वारा ऑक्युललर इमरजेंसी व कॉर्निया, टांस्लाश ण्ट के बारे में तकनीकी जानकारी दी गई। साथ ही आई डोनेशन की प्रक्रिया एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए जानकारी दी गई। कार्यशाला में राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम,अमृत दृष्टि आई हेल्थ प्रोजेक्ट, साइट सेवर द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा की गई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि नेत्र रोगों के उपचार एवं देखभाल के लिए संचालित राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत मोतियाबिंद के नि:शुल्क ऑपरेशन, कॉर्निया प्रत्यारोपण, स्कूली बच्चों की नि:शुल्क आंखों की जांच, नि:शुल्क चश्मा वितरण किया जाता है। भोपाल जिले में मोबाइल वैन के माध्यम से समुदाय के बीच में जाकर आंखों की निशुल्क जांच की सुविधा दी जा रही है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में चिकित्सकीय दल द्वारा आंखों की जांच की जाती है। कार्यक्रम के तहत जन्मजात दृष्टिदोष जैसे मोतियाबिंद, भेंगापन का उपचार नि:शुल्क किया जाता है। राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत भोपाल जिले में 662 लोगों की ग्लूकोमा स्क्रीनिंग की गई है। इनमें से 101 ग्लूकोमा मरीज पाए गए हैं। 1025 लोगों की डायबीटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग में से 154 में बीमारी मिली है। कार्यक्रम के तहत 48711 स्कूली बच्चों की आई स्क्रीनिंग की गई है। इनमें से 1726 बच्चों को नि:शुल्क चश्मा दिए गए हैं। मोबाइल आई वैन से हुई नौ हजार से ज्यादा स्क्रीनिंग जिले में अमृत दृष्टि आई हेल्थ प्रोजेक्ट के तहत 9712 लोगों की आंखों की जांच की गई है। इनमें से 7664 में रिफ्रैक्टिव एरर की समस्या पाई गई है। 3797 लोगों को निशुल्क चश्मे उपलब्ध करवाए गए है। 817 लोगों में मोतियाबिंद पाया गया है। 536 लोगों की डायबीटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग में से 56 में समस्या पाई गई है। 288 लोगों की ग्लूकोमा स्क्रीनिंग में 14 में ग्लूकोमा मिला है। अंधत्व का दूसरा बड़ा कारण है ग्लूकोमा गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक सोम ने डायबीटिक रेटिनोपैथी एवं ग्लूकोमा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ग्लूकोमा अंधत्व का दूसरा बड़ा कारण है इसलिए इसके लक्षण की तुरंत पहचान कर जांच और इलाज करवाना जरूरी है। ग्लूकोमा के कारण दृष्टि कमजोर होती है। यह आमतौर पर तब होता है जब आंख की पुतली के भीतर अतिरिक्त पानी का दबाव ऑप्टिक नस को नुकसान पहुंचाता है। 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों जिन्हें मधुमेह या उच्च रक्तचाप की बीमारी हो, दूर अथवा नजदीक देखने में परेशानी हो या परिवार में किसी को ग्लूकोमा रहा हो उनको ग्लूकोमा जांच अवश्य करवानी चाहिए । आंखों से बल्ब के चारों ओर रंगीन गोला नजर आने, आंखों में तेज दर्द, लगातार सर दर्द एवं उल्टी, चश्मे का नंबर बार-बार बदलने, धुंधला दिखाई देना, इस बीमारी के सामान्य लक्षण हैं। डायबिटीज मरीजों को नेत्र परीक्षण करवाना जरूरी डायबिटिक रेटिनोपैथी डायबिटीज के कारण आंख के परदे पर होने वाली बीमारी है। इसमें आंख के परदे पर हल्के खून के छींटे देखने को मिलते हैं । इस बीमारी में विजन जाने के बाद पुनः नजर को वापस नहीं लाया जा सकता है। बीमारी में प्रारंभ में कोई स्पष्ट लक्षण या दर्द नहीं होता है। अक्षर कटे या तिरछे दिखना, बारीक अक्षर पढ़ने में परेशानी होना, रोशनी की कमी महसूस होना या धुंधला दिखाई देना काले धब्बे या काली रेखाएं दिखना इसके लक्षण है। डायबिटीज के रोगियों को नेत्र चिकित्सक से इसकी जांच अवश्य करवानी चाहिए । इसका उपचार दवा अथवा लेजर द्वारा किया जा सकता है। आंखों की मामूली चोट से भी जा सकती है रोशनी उन्मुखीकरण प्रशिक्षण में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.भावना शर्मा ने बताया कि आंखों की चोट अथवा ट्रॉमा की स्थिति में तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। ऑकुलर इमरजेंसी विशेष रूप से बच्चों और युवा वयस्कों में अंधेपन या दृष्टिहानि के प्रमुख कारणों में से एक है। कट अथवा खरोंच आना, आंख में कोई वस्तु जाना , जलन या दर्द होना, आंखों का रासायनिक पदार्थों के संपर्क में आना, आंखों का संक्रमण, आंख या पलक पर गंभीर चोट लगना, आंखों में रक्त का जमाव होना आकुलर इमरजेंसी से संबंधित है। ऐसी स्थिति में आंखों को रगड़ना या दबाव नहीं डालना चाहिए । एस्प्रिन, आइबुप्रोफेन या अन्य नॉन स्टेरॉयडल दवाएं, सूजनरोधी दवाएं बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं ली जानी चाहिए। कार्यशाला में आई डोनेशन की प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक समझाया गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नेत्रदान के लिए लोगों को जागरूक एवं प्रोत्साहित कर पंजीयन करवाया जा रहा है। नेत्रदान के इच्छुक लोग राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1800114770 से विस्तृत जानकारी लेकर स्वैच्छिक पंजीयन भी करवा सकते हैं। धर्मेन्द्र, 21 दिसम्बर, 2024