गिरिडीह (ईएमएस)। वन नेशन, वन इलेक्शन” पर सेमिनार का आयोजन सुभाष शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में किया गया। इस कार्यक्रम में बीएड और डीएलएड के प्रशिक्षुओं ने भाग लिया और अपने विचार प्रस्तुत किए। इस सेमिनार में “वन नेशन, वन इलेक्शन” की संभावनाओं और चुनौतियों पर गहन चर्चा हुई। प्रशिक्षुओं ने इसके पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी, राजनीतिक स्थिरता आएगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी। वहीं, कुछ प्रशिक्षुओं ने इस नीति की आलोचना करते हुए कहा कि इससे स्थानीय मुद्दों की अनदेखी हो सकती है और संवैधानिक जटिलताएं बढ़ सकती हैं। संस्थान के महासचिव सह अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “वन नेशन, वन इलेक्शन” एक दूरदर्शी विचार है, लेकिन इसे लागू करने से पहले सभी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श और राजनीतिक सहमति की आवश्यकता है।” राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार सिंह ने इस नीति के सकारात्मक पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि “वन नेशन, वन इलेक्शन” से चुनावी खर्चों में कमी, विकास कार्यों में बाधा खत्म और प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित होगी। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनुज कुमार ने इस नीति के समर्थन में अपनी राय रखते हुए कहा कि “वन नेशन, वन इलेक्शन” से देश में संसाधनों की बचत होगी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी। प्रो. कौशल राज ने भी इस पहल के समर्थन में विचार व्यक्त किए। सेमिनार में महाविद्यालय के शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों ने भी भाग लिया। डॉ. ओम प्रकाश राय, डॉ. शमा परवीन, प्रो. पोरस कुमार, प्रो. धर्मेंद्र मंडल, प्रो. बृजमोहन कुमार, प्रो. सोमा सूत्रधार, प्रो. राजकिशोर प्रसाद समेत अन्य ने अपने विचार रखे। प्रशिक्षणार्थियों में दीपेंद्र कुमार दास, अनिल कुमार दास, संजय पंडित, शंकर हंसदा, चंदन झारखंडी, गुड़िया टुडू ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वहीं, शिक्षकेतर कर्मचारियों में राजेश कुमार, प्रियेश कुमार, पूजा, मिकल और उदय ने भी इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सेमिनार के समापन पर महाविद्यालय के सभी उपस्थित सदस्यों ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” की अवधारणा पर गहन विचार-विमर्श किया और इसके विभिन्न पहलुओं पर सहमति व्यक्त की। इस सफल आयोजन से सभी प्रतिभागियों को विषय की गहरी समझ और इसके संभावित प्रभावों पर विचार करने का अवसर मिला। राजेश कुमार/ ईएमएस/ 21 दिसम्बर 2024