ब्रिस्टल (ईएमएस)। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई और अद्वितीय बैटरी बनाने में सफलता पा ली है, इस न्यूक्लियर-डायमंड बैटरी कहा जाता है। यह बैटरी किसी भी छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को हजारों साल तक ऊर्जा दे सकती है। इस बैटरी में कार्बन-14 नामक रेडियोएक्टिव पदार्थ और हीरे का उपयोग हुआ है, जो मिलकर बिजली उत्पन्न करते हैं। कार्बन-14 की हाफ लाइफ 5730 साल है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बैटरी लंबे समय तक काम करेगी। रिपोर्ट के अनुसार, बैटरी बनाने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे चलाने के लिए किसी प्रकार की गति की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें किसी भी पारंपरिक बैटरी की तरह मैग्नेट या मोशन का उपयोग नहीं होता है। रेडिएशन के कारण इलेक्ट्रॉन्स तेजी से गति करते हैं और बिजली उत्पन्न होती है, यह प्रक्रिया फोटोवोल्टिक सेल्स की तरह काम करती है, जैसे सोलर पावर में फोटोन्स से बिजली उत्पन्न होती है। वैज्ञानिक नील पॉक्स का कहना है कि हीरे को बैटरी के लिए सबसे सुरक्षित सामग्री माना गया है, क्योंकि यह पृथ्वी का सबसे कठोर पदार्थ है। कार्बन-14 प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है और परमाणु संयंत्रों को नियंत्रित करने में उपयोग होता है। हालांकि, यह इतना हानिकारक नहीं है कि इसे खुले हाथों से छुआ जाए या निगला जाए, जिससे यह जानलेवा साबित नहीं होता। वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में अगर किसी अंतरिक्ष यान को रेडियोएक्टिव पदार्थ और हीरे की बैटरी से लैस किया जाए, तो यह पृथ्वी के सबसे नजदीकी तारे अल्फा सेंटौरी (जो 4.4 प्रकाश वर्ष या 41.8 ट्रिलियन किमी दूर है) तक बिना किसी अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत के यात्रा कर सकता है। यह बैटरी एक नई दिशा में शोध और विकास की संभावना प्रस्तुत करती है, खासकर अंतरिक्ष अभियानों में ऊर्जा की दीर्घकालिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए। आशीष/ईएमएस 20 दिसंबर 2024