नई दिल्ली (ईएमएस)। खाने-पीने की चीज़ों के पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक और कागज आदि में 200 से अधिक कैंसरकारी रसायन होते हैं। एक नई स्टडी के अनुसार, बीपीए और फ्थेलेट्स जैसे रसायन आमतौर पर प्लास्टिक की बोतलों, फूड कंटेनरों, पैकिंग मटेरियल और अन्य दैनिक उपयोग की चीज़ों में पाए जाते हैं। जब ये रसायन शरीर में प्रवेश करते हैं, तो ये एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन की गतिविधि को बढ़ाते हैं, जिससे ब्रेस्ट कैंसर के विकास का खतरा बढ़ सकता है। विशेष रूप से, जब प्लास्टिक को गर्म किया जाता है, जैसे कि माइक्रोवेव में भोजन को गर्म करते समय, ये हानिकारक रसायन खाने में मिल सकते हैं और शरीर में समा सकते हैं। प्लास्टिक के लंबे समय तक इस्तेमाल और इसके संपर्क में रहने से शरीर में टॉक्सिन्स जमा हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। प्लास्टिक का अधिक उपयोग, खासकर जंक फूड और पैकेज्ड फूड में, कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है। इसके अलावा, पानी और सॉफ्ट ड्रिंक्स के लिए प्लास्टिक की बोतलों का अधिक उपयोग भी स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस खतरे को कम करने के लिए प्लास्टिक के उपयोग को घटाना बेहद जरूरी है। इसके बजाय, स्टील, कांच या सिरेमिक कंटेनरों का इस्तेमाल करना चाहिए। माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर का उपयोग न करें, और गर्म खाने को प्लास्टिक कंटेनर में स्टोर न करें। इसके अलावा, बीपीए फ्री और फ्थेलेट्स मुक्त उत्पादों का चयन करें। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के साथ-साथ ताजा और घर का बना खाना खाने की सलाह दी जाती है, ताकि पैकेज्ड फूड और प्लास्टिक से होने वाले हानिकारक प्रभावों से बचा जा सके। नियमित व्यायाम और पोषण से भरपूर आहार भी ब्रेस्ट कैंसर और अन्य बीमारियों से बचाव में मदद कर सकते हैं। समाप्त में, जागरूकता और प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली अपनाने से ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्पों का चयन करना बेहद आवश्यक है। प्लास्टिक के इस्तेमाल से जुड़े हानिकारक रसायन, जैसे बिसफेनॉल ए (बीपीए) और फ्थेलेट्स, ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। ये रसायन एंडोक्राइन डिसरप्टर के रूप में कार्य करते हैं, जो शरीर के हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करते हैं और ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ाते हैं। सुदामा/ईएमएस 18 दिसंबर 2024