-ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने किया यह दावा लंदन (ईएमएस)। एक ताजा शोध में पाया गया कि दुनिया भर में लगभग एक अरब युवाओं को हेडफोन के जरिए तेज आवाज में संगीत सुनने से बहरेपन का खतरा हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में लगभग एक अरब युवाओं को हेडफोन सुनने या तेज संगीत वाले स्थानों पर जाने से बहरेपन का खतरा हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने भी इस शोध का नेतृत्व करते हुए युवाओं को सचेत किया है।430 मिलियन से अधिक लोग यानी दुनिया की आबादी का पांच प्रतिशत से भी अधिक लोग वर्तमान में सुनने की अक्षमता से पीड़ित हैं।डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, 2050 तक यह संख्या बढ़कर 700 मिलियन (70 करोड़) हो जाएगी।इस शोध ने पिछले दो दशकों में अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच और रूसी में प्रकाशित 33 अध्ययनों के आंकड़ों को देखा, अपने शोध में 12-34 आयु वर्ग के 19,000 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया। इसमें पाया गया कि स्मार्टफोन जैसे उपकरणों के साथ हेडफोन का उपयोग करते समय 24 प्रतिशत युवाओं में कम सुनने की दिक्कतें थीं और 48 प्रतिशत मनोरंजन स्थलों जैसे संगीत कार्यक्रम या नाइट क्लबों में तेज शोर का वजह से भी लोगों में समान समस्या है.शोध के निष्कर्षों को मिलाकर, अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 670,000 से 1.35 अरब युवाओं के बीच बहरेपन की समस्या हो सकती है।अध्ययन के पहले लेखक लॉरेन डिलार्ड ने कहा कि हेडफोन से सुनने के नुकसान के जोखिम को कम करने का सबसे अच्छा तरीका वॉल्यूम कम करना और लिमिट में कोई चीज सुनना सही रहेगा।हेडफोन यूजर्स को सेटिंग्स का इस्तेमाल करना चाहिए या ध्वनि स्तर की निगरानी हमेशा करनी चाहिए। कॉन्सर्ट या नाइट क्लब जैसे शोरगुल वाले कार्यक्रमों में इयरप्लग पहना जाना चाहिए। बता दें कि दुनिया भर में जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स मार्किट में अपने नए मॉडल के साथ आने लगे हैं, लोग उसके इस्तेमाल में अपनी रुचि भी दिखाने लगे हैं। टीवी, मोबाइल के साथ हेडफोन ताकि मूवी या म्यूजिक को ध्यान से सुना जा सके।अधिकतर लोगों को लाउड म्यूजिक पसंद होता है, वे हेडफोन के जरिए तेज आवाज में संगीत सुनते हैं। सुदामा/ईएमएस 16 दिसंबर 2024