भिंड ( ईएमएस ) 11 साल के बेटे को खोना माता-पिता के मन पर जीवन भर प्रभाव डालेगा। किसी स्कूल के शिक्षक द्वारा छात्र की हत्या करना गंभीर अपराध है, जिसके अपराधियों के साथ नरमी बरतना न्यायोचित नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट ने नाबालिग छात्र के हत्याकांड के मुख्य आरोपी स्कूल संचालक को आजीवन कारावास सहित शेष 5 सहयोगियों को 7-7 साल की सजा सुनाई। ज्ञात हो कि बीत 9 नवंबर 2022 को अटेर रोड चंदनपुरा के पास आरकेडी स्कूल के पास 11 साल के नाबालिग बच्चे का शव बोरे में बंद मिला था। नाबालिग बच्चे की हत्या के इस मामले में कोतवाली पुलिस ने आरकेडी स्कूल संचालक पवन उर्फ बालकृष्ण शर्मा सहित राघवेंद्र उर्फ दीपू, मधुर कटारे, शैलू उर्फ शैलेश, मोहित उर्फ धीरज और विश्राम को आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार किया गया। नाबालिग बच्चे की हत्या के इस मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट द्वारा की गई। इसमें उपलब्ध साक्ष्यों एवं तकनीक साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने पवन उर्फ बालकृष्ण शर्मा को नाबालिग की हत्या करने के जघन्य अपराध का मुख्य आरोपी माना। न्यायालय ने इस हत्या के मामले में निर्णय देते हुए एक स्कूल संचालक द्वारा किए गए इस कृत्य को गंभीरतम अपराध की श्रेणी में माना और आरोपी पवन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही हत्याकांड में लिप्त आरोपी राघवेंद्र उर्फ दीपू, मधुर कटारे, शैलू उर्फ शैलेश, मोहित उर्फ धीरज और विश्राम को अपराध में सहयोग करने, साक्ष्य छिपाने सहित अपराधी का सहयोग करने का दोषी माना। इस आधार पर सभी आरोपियों को 7-7 साल के कठोरतम कारावास की सजा से दंडित करने का निर्णय दिया।