शासन की संपूर्ण व्यवस्थाओं में जनता के प्रति जवाबदेही,पारदर्शिता और सेवा-भाव से सभी को समर्पित कार्यप्रणाली सुनिश्चित करना सुशासन का मूलमंत्र है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए डॉ. मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व में मध्य प्रदेश भी हर दिन सुशासन के नए अध्याय लिख रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 13 दिसम्बर 2023 को प्रदेश की बागडोर संभाली। उनके बागडोर संभालते ही प्रदेश में सुशासन का सूर्यादय हुआ है। प्रदेश सरकार सबका साथ-सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास के मूलमंत्र को लेकर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में एक साल की अल्पावधि में कई जनहितकारी फैसलों से समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए प्रदेश सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। मोहन सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतिफल है कि आज प्रदेश के हर कोने में सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण स्वच्छ और ईमानदार प्रशासन और सरकारी काम-काज में पारदर्शिता लाना रहा है। आम आदमी की जिंदगी में बदलाव लाना मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मुख्य उद्देश्य है। एक साल के छोटे से कार्यकाल में मोहन सरकार ने जनता से किए गए वादे पूर्ण करने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं जिसके कारण प्रदेश में विकास का नया दौर शुरू हुआ है। सेवा, सुशासन, सुरक्षा एवं विकास के संकल्प को लेकर प्रदेश सरकार जनता की सेवा में दिन-रात लगी हुई है। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने अपने एक के छोटे से कार्यकाल में अपने काम से न केवल जनता का दिल जीता है बल्कि अपने सख्त निर्णयों के माध्यम से राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने भी अपनी अलहदा पहचान बनाने में सफलता पाई है। उन्होनें योग्य अफसरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देकर अपने बुलंद इरादों को सभी के सामने जताया है । इस एक साल के छोटे से कार्यकाल में उन्होनें अपनी खुद की नई टीम बनाई और सीएम आवास से लेकर मंत्रालय, संभाग और जिलों में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करने से भी परहेज नहीं किया। हर समय एक्शन में रहने वाले डा. मोहन यादव के तेवरों को देखकर आज प्रदेश में नौकरशाही के चेहरा पूरी तरह से बदल चुका है। सीएम की कमान संभालने के साथ ही उन्होंने हर किसी अधिकारी के ट्रैक रिकार्ड को न केवल खंगाला बल्कि कार्यक्षमताओं के अनुरूप सभी को नए कार्यों का प्रभार सौंपा। ख़ास बात ये है मोहन सरकार में बेलगाम नौकरशाही पर भी नकेल कसी गई है जिस कारण मध्यप्रदेश का डबल इंजन विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। नए मुखिया की तीव्र गति से निर्णय लेने की क्षमताओं से मध्यप्रदेश में एक बदलाव की नई बयार चली है। नई विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था होने से अब प्रदेश के विकास कार्यों में न केवल तेजी आयी है बल्कि समय -समय पर मॉनीटरिंग किये जाने से जनता के हित में तेजी से निर्णय लिये जा रहे हैं। यही कारण है आज प्रदेश में देश और विदेश के निवेशक भी अपनी रूचि दिखा रहे हैं। साइबर तहसील डिजिटल इंडिया की दिशा में प्रदेश के नागरिकों को सुविधा प्रदान करने की दिशा में की गई बड़ी पहल है। इसके जरिए लोगों को कई कामों को करने में आसानी हुई है। भूमि खरीदी और बिक्री के बाद आने वाली कठिनाइयों को साइबर तहसील के जरिये काफी आसान कर दिया गया है। संपदा 2.0 के तहत सॉफ्टवेयर सिस्टम का डिजिटलाइजेशन किया गया है। डिजिटलाइजेशन के माध्यम से राजस्व प्रक्रिया का सरलीकरण हुआ है। साइबर तहसील परियोजना को प्रदेश के सभी 55 जिलों में लागू किया गया है। इससे लोगों को अनावश्यक भागदौड़ से निजात मिल रही है और समय की भी बचत हो रही है। साइबर तहसील खोले जाने का सबसे प्रमुख उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और लोगों को सुविधा पहुंचाना है। साइबर तहसील में सार्वजनिक नोटिस की प्रक्रिया को भी सरल किया गया है। विभिन्न राजस्व प्रकरणों का ऑनलाइन निराकरण साइबर तहसील के माध्यम से प्रदेश में अब संभव हो रहा है। ऐसी पहल करने वाला देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश बना है। मध्यप्रदेश में राजस्व प्रकरणों का समाधान करने राजस्व महाअभियान बड़े स्तर पर सरकार ने शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम में राज्य स्तर पर विभिन्न कामों को तत्काल प्रभाव से पूरा किया गया जिसमें भू-अभिलेखों का शुद्धीकरण, लंबित राजस्व मामलों का निपटाना और डिजिटल क्रॉप सर्वे, पीएम किसान योजना का लाभ, फॉर्मर आईडी आदि भी शामिल रहा। राजस्व प्रकरणों के त्वरित निराकरण और राजस्व अभिलेख त्रुटियों को ठीक करने के लिए राजस्व महाअभियान-2.0 18 जुलाई से 31 अगस्त तक चलाया गया जिसमें बहुत कम समय में ही 50 लाख से अधिक राजस्व प्रकरणों का निराकरण हुआ है जो प्रदेश में एक बड़ा कीर्तिमान है। राजस्व महा-अभियान 3.0 को 15 नवम्बर से 26 जनवरी तक चलाने के निर्देश दिये हैं जिसमें अभी तक 80 हजार से अधिक राजस्व प्रकरणों का निराकरण हो गया है। मध्यप्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के हितग्राहियों को लाभ पहुंचाने की दिशा में सरकार ने स्मार्ट पीडीएस राशन योजना शुरू की है। इस योजना के प्रदेश में करीब 5 करोड़ से अधिक हितग्राहियों को निशुल्क खाद्यान्न दिया जा रहा है। स्मार्ट-पीडीएस स्कीम के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 8.35 करोड़ रुपए 3 वर्ष में खर्च किए जाएंगे। इससे सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के क्रियान्वयन, विस्तार एवं संधारण, डेटाबेस में भिन्नता, डेटा रिकवरी एवं साइबर सुरक्षा संबंधी कठिनाइयों का निराकरण होगा। प्रदेश में सरकार ने अपने कड़े फैसले में विस्तारक यंत्रों के अनियंत्रित और अनियमित प्रयोग को प्रतिबंधित किया है साथ ही खुले में मांस बेचने को भी प्रतिबंधित किया है। डिजिटल इंडिया के बढ़ते कदम के तहत प्रदेश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया। पहले क्लाउड सेवाओं के लिए निजी व अन्य सरकारी कंपनियों को भारी भरकम राशि अदा की जाती थी लेकिन इस नीति को मंजूरी मिलने के बाद क्लाउड सेवाओं के लिए बाहर की किसी कंपनी को अलग से धन नहीं देना होगा। प्रदेश सरकार ने अपनी क्लाउड पॉलिसी-2024 के तहत डेटा सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया है जिसमें सभी का सरकारी डेटा रखा जा सकेगा। इस निर्णय से म.प्र. राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के माध्यम से केंद्रीयकृत रूप से विभागों को क्लाउड सेवाएं उपलब्ध कराई जायेंगी एवं क्लाउड सेवाओं के भुगतान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग को बजट उपलब्ध कराया जाएगा। प्रदेश सरकार के प्रयासों से प्रदेश में लगातार निवेश बढ़ रहा है। आज उद्योग, व्यापार, व्यवसाय की दृष्टि से मध्यप्रदेश में निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बना है। एनर्जी, टूरिज्म, हेल्थ, माइनिंग, फिल्म, तकनीक जैसे सभी सेक्टर में देश और दुनिया के निवेशक प्रदेश में रूचि दिखा रहे हैं। राज्य सरकार ने बजट में भी उद्योग-व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए पहली बार उचित प्रावधान किए हैं जिसके चलते एमपी की तरफ निवेशक तेजी से आकर्षित हो रहे हैं पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ. यादव की लंदन, जर्मनी की विदेश यात्रा भी निवेश की दृष्टि से अहम रही। इन सभी यात्राओं से सेमीकंडक्टर और सौर ऊर्जा में 25,150 करोड़ का निवेश आया है। सौर ऊर्जा सेक्टर में 150 करोड़ रुपए, मॉड्यूलर हाउसिंग प्रोजेक्ट में 1 हजार करोड़ , आईटी सेक्टर में 1100 करोड़ का प्रस्ताव सरकार को मिले हैं। हेल्थ सेक्टर में इस्पात इंटरनेशनल और इंडोरामा कंपनियों से 3,000 करोड़ का बड़ा निवेश आने के प्रस्ताव मिले हैं। अगर यह निवेश परवान चढ़ता है तो इससे मध्यप्रदेश आर्थिक दृष्टि से समर्थ होगा और विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को बड़ा रोजगार भी मिलेगा। पीएम मोदी का विजन मोहन का मिशन बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के विजन को आगे बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अभी तक महाकाल की नगरी उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीव , नर्मदापुरम में ‘रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव’ के सफल आयोजन किये हैं जिसके माध्यम से प्रदेश में निवेश की अनंत संभावनाएं बन रही हैं। अब तक राज्य में हुई 6 रीजनल इंवेस्टर्स समिट में प्रदेश को दो लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। राज्य सरकार की औद्योगिक नीतियां न केवल निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं, बल्कि प्रदेश के सभी जिलों में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करा रही है। इस आयोजनों के माध्यम से प्रदेश में होने जा रहे निवेश के माध्यम से मुख्यमंत्री प्रदेश के युवाओं को रोजगार दिलाने की दिशा में प्रयत्नशील हैं। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा साढ़े आठ करोड़ लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए 3 लाख 65 हजार करोड़ से अधिक का बजट प्रस्तुत हुआ है। सरकार का लक्ष्य है कि 5 साल में बजट को दोगुना किया जाएगा, इसलिए लगभग 16 प्रतिशत बजट का आकार बढ़ा है। खास बात यह है कि इस बजट में किसी तरह का कोई कर नहीं बढ़ाया गया है। यह बजट सभी वर्गों के समावेशी विकास की अवधारणा और पीएम मोदी के विजन को साकार करने वाला बजट है। मोहन सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल को देखकर स्पष्ट नजर आता है कि वह पार्टी के संकल्प पत्र में किये गए वायदों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। अपने सुशासन से मध्यप्रदेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचालित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और मोदी की हर गारंटी पूरा करने के लिए डॉ. मोहन यादव ने सीएम की कुर्सी सँभालने के साथ ही अपनी पूरी ऊर्जा के साथ दिन- रात सतत रूप से कार्य कर रहे हैं। अपनी सतत कार्यशीलता से मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने अपने बेहतर सुशासन के मॉडल को सभी के सामने पेश किया है जिसमें जनता के हित में तेजी से निर्णय लिए जा रहे हैं। विपक्ष भी उनकी नीतियों और काम करने के अलहदा अंदाज का तोड़ नहीं निकाल पा रहा है। हालाँकि किसी भी सरकार के लिए एक साल का कार्यकाल बहुत छोटा होता है लेकिन मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अपने एक वर्ष के छोटे से कार्यकाल में सुशासन की नई लकीर खींचकर खुद को प्रदेश में एक मजबूत नेता के तौर पर स्थापित कर दिया है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ) ईएमएस / 14 दिसम्बर 24