13-Dec-2024
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दमिश्क (ईएमएस)। विद्रोही गुटों के सीरिया पर कब्जे के बाद से मौजूद रासायनिक हथियारों को लेकर चिंताएं जाहिर की जाने लगी है। ऐसी आशंका हैं कि कहीं ये गलत हाथों में न पड़ जाए। सीरियाई विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी का कहना है कि ग्रुप हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस), उन संभावित साइट्स को सुरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम कर रहा है, जहां रासायनिक हथियार हो सकते हैं। एटीएस ने पहले ही कहा था कि वह किसी भी परिस्थिति में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा। बता दें सीरिया की राजधानी पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़ कर भागना पड़ा। इस बीच पेंटागन ने कहा कि अमेरिका संभावित रासायनिक हथियार स्थलों को सुरक्षित करने के बारे में उनकी टिप्पणियों का स्वागत करता है, लेकिन साथ ही अमेरिका ने आगाह भी किया कि बयान के साथ-साथ कथनी भी जरूरी है। दरअसल सीरिया में रासायनिक हथियारों का उत्पादन 1980 के दशक के मध्य में शुरू हुआ। एक दौर ऐसा भी आया जब कहा जाने लगा कि सीरिया के पास अमेरिका और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रासायनिक हथियारों का भंडार है। सीरिया के 13 साल से अधिक समय तक चले गृह युद्ध के दौरान बशर अल-असद पर बार-बार रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2012 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेतावनी दी थी कि इन हथियारों निरंतर उपयोग एक लाल रेखा को पार कर जाएगा जो अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप को उचित ठहराएगा। सितंबर 2013 से पहले सीरिया ने सार्वजनिक रूप से रासायनिक हथियार रखने की बात स्वीकार नहीं की थी। अमेरिकी धमकी के बाद अल-असद अपने देश के रासायनिक हथियार कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए रूसी-अमेरिकी समझौते पर सहमत हो गए और रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संधि में शामिल होने के लिए सहमत हो गए। अंतरराष्ट्रीय रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू), को 2013 में सीरिया के रासायनिक हथियारों के भंडार को नष्ट करने का काम सौंपा गया था, एक ऐसा काम जिसने संगठन को उस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार जीतने में मदद की। अगले नौ महीनों में, ओपीसीडब्ल्यू ने करीब 1,100 मीट्रिक टन सरीन, वीएक्स और मस्टर्ड गैस एजेंटों और उनके वितरण तंत्र को नष्ट कर दिया, और जून 2014 में प्रमाणित किया कि सीरिया के सभी घोषित हथियार हटा दिए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उस समय भी अमेरिका और ओपीसीडब्ल्यू अधिकारियों को शक था कि अल-असद ने अपने कुछ रासायनिक हथियारों को छुपा लिया है। तीन साल बाद 2017 में खान शेखौन में सीरियाई बलों के हमले 80 लोगों की मौत हुई थी। ऐसा व्यापक रूप से माना जाता है कि सरकारी बलों ने हमले में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था। 7 अप्रैल, 2018 को दमिश्क के पास एक हमले में करीब 50 और लोग मारे गए। इस बार भी अटैक को रासायनिक हमला माना गया। आशीष/ईएमएस 13 दिसंबर 2024