* सोनूभाऊ बसवंत कॉलेज में सफल आयोजन मुंबई, (ईएमएस)। भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) दर्शन, विज्ञान, गणित, चिकित्सा, कला और वाणिज्य जैसे विषयों में पारंपरिक ज्ञान का एक विशाल भंडार प्रदान करती है। इसके समग्र और टिकाऊ दृष्टिकोण समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। भारतीय ज्ञान प्रणाली के दायरे और महत्व को ध्यान में रखते हुए, 11 नवंबर से 18 नवंबर, 2024 तक, यूजीसी- मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी), मुंबई विश्वविद्यालय और यूजीसी-मानव संसाधन विकास केंद्र (यूजीसी-एचआरडीसी) ने ज्ञानवर्धिनी ट्रस्ट के सोनूभाऊ बसवंत कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, शाहपुर के सहयोग से “भारतीय ज्ञान प्रणाली” पर एक बेहद सफल ऑनलाइन शॉर्ट-टर्म कोर्स का आयोजन किया। इस कोर्स का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपराओं की समृद्धि और समकालीन प्रासंगिकता का पता लगाना था। * मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति ने दिया अध्यक्षीय उद्बोधन कार्यक्रम की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई। मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवींद्र कुलकर्णी ने अध्यक्षीय भाषण दिया, जिसमें भारतीय ज्ञान प्रणाली के अंतःविषय अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला गया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में वाणिज्य और प्रबंधन संकाय की प्रभारी डीन प्रो. कविता लघाटे और विशेष अतिथि के रूप में ज्ञानवर्धिनी ट्रस्ट की कार्यकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष सतीश गुजराती मौजूद थे। यूजीसी-एमएमटीटीसी की निदेशक प्रो. विद्या वेंकटेशन ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। * देश के 68 प्रोफेसरों ने लिया हिस्सा इस पाठ्यक्रम में भारत भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के कुल 68 प्रोफेसरों ने भाग लिया। प्रो. विद्या वेंकटेसन, प्रो. नमिता निंबालकर, डॉ. रविकांत संगुर्दे, प्रो. नचिकेता तिवारी, प्रो. ज्योति वोरा, डॉ. मौसमी दत्ता, प्रो. इंदुमती कटदरे, प्राचार्य डॉ. उमा शंकर, प्रो. दीपेश कटारी, प्रो. उपेंद्र त्रिपाठी, डॉ. मुरलीधर चांदेकर, प्रो. आदित्य माहेश्वरी, प्रो. आशीष पांडे, प्रो. राघव कृष्ण, प्रो. गौरव गाडगिल, डॉ. प्रसाद भिड़े, डॉ. गौरी माहुलिकर और एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. उज्ज्वला चक्रदेव जैसे प्रतिष्ठित वक्ताओं ने विविध विषयों पर अपने विचार रखें। इन विषयों में भारतीय ज्ञान प्रणाली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, भारतीय दर्शन में गणित और तर्क की सीमाएं, भारतीय ज्ञान प्रणाली और वाणिज्य, भारतीय मंदिरों की विरासत, भारतीय ज्ञान प्रणाली का सार को समावेश किया गया था। समापन सत्र के अध्यक्ष मुंबई विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर, प्रिंसिपल डॉ. अजय भामरे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान प्रणाली की महत्ता पर जोर दिया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में साठे कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. माधव राजवाड़े और यूजीसी-एमएमटीटीसी की निदेशक प्रो. विद्या वेंकटेशन शामिल हुए। * सोनूभाऊ कॉलेज की रही महत्वपूर्ण भूमिका इस कोर्स की सफलता ट्रस्टी समिति के सदस्यों, ज्ञानवर्धिनी ट्रस्ट की कार्यकारी समिति और मुंबई विश्वविद्यालय में मानविकी संकाय के प्रभारी डीन, समन्वयक और सोनूभाऊ बसवंत कॉलेज के प्रभारी प्रिंसिपल प्रो. अनिल सिंह के नेतृत्व वाली समर्पित टीम के सहयोगात्मक प्रयासों से संभव हुई। प्रमुख योगदानकर्ताओं में मुंबई विश्वविद्यालय, यूजीसी-एमएमटीटीसी की प्रभारी निदेशक प्रो. विद्या वेंकटेसन, पाठ्यक्रम समन्वयक और उप-प्राचार्य डॉ. संतोष गायकवाड़, * IQAC के समन्वयक ग्रंथपाल प्रो. डॉ. शहाजी वाघमोडे, यूजीसी-एमएमटीटीसी के प्रो. प्रशांत नाइक और उनकी पूरी टीम, डॉ. अश्विनी ओव्हाल, डॉ. सीमा पटोले सभी संकाय सदस्य, कॉलेज के शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी और विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों के सभी प्रोफेसर प्रतिभागी शामिल थे। यह पहल आधुनिक शिक्षा के ढांचे के भीतर भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने और एकीकृत करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। संतोष झा- १२ दिसंबर/२०२४/ईएमएस