नई दिल्ली (ईएमएस)। काम का दबाव, अस्वस्थ जीवनशैली और मानसिक तनाव की वजह से नींद न आने के कारण लोग अक्सर स्लीपिंग पिल्स का सहारा लेते हैं, लेकिन लगातार इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। डॉक्टर भी स्लीपिंग पिल्स के नियमित उपयोग से बचने की सलाह देते हैं। वहीं, आयुर्वेद में अनिद्रा के लिए कई प्राकृतिक उपाय सुझाए गए हैं, जो न केवल नींद को बेहतर बनाते हैं, बल्कि शरीर को स्वस्थ रखने में भी मदद करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अनिद्रा का मुख्य कारण वात और पित्त दोष है। वात दोष मानसिक तनाव और चिंता को बढ़ावा देता है, जबकि पित्त दोष शरीर में गर्मी और ऊर्जा के असंतुलन का कारण बनता है। आयुर्वेद में अश्वगंधा और सर्पगंधा को अनिद्रा के इलाज में बेहद प्रभावी माना गया है। इनका पाउडर आसानी से बाजार में उपलब्ध है। प्रतिदिन रात को सोने से पहले पांच ग्राम अश्वगंधा या सर्पगंधा का सेवन गुनगुने पानी के साथ करने से नींद की समस्या दूर होती है। पैरों के तलवों की मालिश भी अनिद्रा से राहत पाने का एक प्रभावी उपाय है। जड़ी-बूटियों के तेल से मसाज करने से शरीर की थकान कम होती है और मस्तिष्क को आराम मिलता है। यह प्रक्रिया रक्त प्रवाह को बेहतर बनाकर गहरी और सुकून भरी नींद में मदद करती है। इसके अलावा, सही समय पर भोजन करना भी महत्वपूर्ण है। रात 7 बजे से 7:30 बजे के बीच हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए, ताकि पाचन प्रक्रिया शांत रहे और दिमाग को आराम मिले। शारीरिक गतिविधियों, जैसे योग और ध्यान का अभ्यास भी नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होता है। श्वसन क्रियाएं और प्राणायाम मानसिक शांति लाते हैं और तनाव को कम करते हैं। ब्राह्मी और अश्वगंधा जैसे तेलों से सिर और तलवों की मालिश भी बेहद फायदेमंद साबित होती है। आयुर्वेद के अनुसार, नींद के लिए स्वस्थ दिनचर्या और संतुलित आहार का पालन बेहद जरूरी है। अगर समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। आयुर्वेदिक नुस्खे न केवल नींद को बेहतर बनाते हैं, बल्कि जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव लाते हैं। बता दें कि आज की तेज़-तर्रार जीवनशैली में अनिद्रा की समस्या आम हो गई है। काम का दबाव, अस्वस्थ जीवनशैली और मानसिक तनाव की वजह से नींद न आने की समस्या लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है। सुदामा/ईएमएस 10 दिसंबर 2024