ज़रा हटके
09-Dec-2024
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वाशिंगटन (ईएमएस)। वैज्ञानिकों ने पहली बार आधुनिक तकनीक और फोरेंसिक अनुसंधान की मदद से सैंटा क्लॉज के असली चेहरे को फिर से बनाने का दावा किया है। संत निकोलस 4वीं शताब्दी के एक ईसाई बिशप थे, जो तुर्की के मायर में रहते थे। उन्हें उनके परोपकारी स्वभाव और लोगों, विशेष रूप से बच्चों, को तोहफे देने की परंपरा के लिए याद किया जाता है। संत निकोलस ही डच लोक कथा के सिंटरक्लास के पीछे की प्रेरणा बने, जो बाद में आधुनिक सैंटा क्लॉज में परिवर्तित हो गया। हालांकि, उनके जीवन की कहानियों के बावजूद, अब तक उनकी असली तस्वीर या चेहरा किसी को नहीं पता था। शोधकर्ताओं ने इस रहस्य को हल करने के लिए संत निकोलस की खोपड़ी के संरक्षित अवशेषों का अध्ययन किया। खोपड़ी के 3डी स्कैन और एनाटोमिकल डीफॉर्मेशन तकनीक का उपयोग करके, वैज्ञानिकों ने उनके चेहरे का एक विस्तृत मॉडल तैयार किया। फोरेंसिक विशेषज्ञ सिसेरो मोरेस, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया, ने कहा, संत निकोलस का चेहरा मजबूत और सौम्य था, जिसमें चौड़ी आकृति थी। उनकी मोटी दाढ़ी और चेहरे की संरचना 1823 की प्रसिद्ध कविता ‘ए विजिट फ्रॉम सेंट निकोलस’ के विवरण से मेल खाती है। सहलेखिका जोस लुइस लीरा ने बताया कि संत निकोलस ने अपने जीवन में ईसाई धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया और बच्चों के बीच अच्छे व्यवहार को प्रोत्साहित किया। बच्चों को दंडित करने और पुरस्कृत करने की उनकी परंपरा ही आज के सैंटा क्लॉज की कहानी की नींव बनी। वैज्ञानिकों ने चेहरा बनाने के लिए लुइगी मार्टीनो द्वारा संग्रहीत आंकड़ों और 3डी मॉडलिंग का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में खोपड़ी के आंकड़ों को जीवित मानव की संरचनाओं से मिलाकर अंतिम चेहरा तैयार किया गया। सुदामा/ईएमएस 09 दिसंबर 2024