बांग्लादेश की पूर्व राष्ट्रपति शेख हसीना को भारत सरकार ने पनाह दे रखी है। जिस तरह से उन्होंने धांधली कर चुनाव जीता था, उसके बाद से ही उनके खिलाफ बांग्लादेश में वातावरण बनने लगा था। रही सही कसर अदानी समूह के साथ बिजली समझौते ने बांग्लादेश की राजनीति और सत्ता संघर्ष को बढ़ाने का काम किया। कहा जाता है, शेख हसीना ने इस समझौते में भारी भ्रष्टाचार करते हुए बिजली का अनुबंध किया था। बांग्लादेश में चुनाव जीतने के लिए जिस तरह से चुनाव कराए गए थे। विपक्षियों को चुनाव में भाग लेने से रोका गया था। उसके बाद से ही शेख हसीना को बांग्लादेश में चारों तरफ से चुनौतियां मिलना शुरू हो गई थी। वह तानाशाही की तरफ बढ़ती चली जा रही थीं। विपक्षियों का दमन किया जा रहा था। महंगाई और बेरोजगारी जैसे मामलों में शेख हसीना सरकार की उपेक्षा के परिणाम स्वरूप छात्र आंदोलन सड़कों पर आ गया। आंदोलनकारी छात्रों के ऊपर गोलियां चलाई गई। इससे माहौल बुरी तरह से बिगड़ गया। एक समय ऐसा भी आया, जब शेख हसीना को अपनी जान बचाकर बांग्लादेश से भागना पड़ा। उन्होंने भारत में शरण ली। भारत में शरण लेने के बाद वह निरंतर यूनुस सरकार पर हमलावर हैं। जिसके कारण बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में तनाव बढ़ता चला जा रहा है। इसका असर बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं और भारत के संबंधों पर पड रहा है। शेख हसीना के समय बांग्लादेश में जिस तरीके का नरसंहार हुआ था। पुलिस और सेना ने आम नागरिकों के ऊपर जिस तरह के अत्याचार किए थे। हाल ही में शेख हसीना ने नरसंहार के लिए उस समय के निर्वासित नेता यूनुस को जिम्मेदार ठहराने वाला बयान दिया है। 4 माह पहले शेख हसीना बांग्लादेश से जान बचाकर भारत में शरण ली है। वह भारत में बैठकर जिस तरीके के बयान लगातार दे रही हैं। उसके कारण भारत के बांग्ला देश के साथ संबंध लगातार खराब हो रहे हैं। अदानी का बिजली वाला समझौता भी बांग्लादेशी नागरिकों को यह बता रहा है। महंगी दरों पर बिजली खरीद करके शेख हसीना ने भारी भ्रष्टाचार किया था। शेख हसीना के भ्रष्टाचार की चर्चा घर-घर में हो रही है। शेख हसीना को बचाने के लिए भारत सरकार अपने राजनायिक रिश्तो को बलि पर चढ़ा दिया है। बांग्लादेश के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के स्थान पर, शेख हसीना को बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करने का अवसर भारत सरकार द्वारा दिया जा रहा है। वर्तमान स्थिति में जिस तरह से भारत सरकार को बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में जो प्रयास करना चाहिए। बांग्लादेश सरकार से बातचीत करके मामले को सुलझाने की पहल करनी चाहिए। उसके स्थान पर भारत बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के खिलाफ अघोषित रूप से एक पार्टी बनकर उभर रही है। भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानो के साथ जिस तरह का व्यवहार हो रहा है। उसकी प्रतिक्रिया अब बांग्लादेश में भी देखने को मिल रही है। जिसके कारण बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ नरसंहार की एक नई शुरुआत देखने को मिल रही है। जो इसके पहले कभी भी बांग्लादेश में नहीं थी। इस्कॉन मंदिर अभी तक किसी राजनीति में नहीं रहता था। बांग्लादेश में इस्कान मंदिर के स्वामी ने जिस तरह का बयान दिया। उसे कहीं से भी न्याय संगत नहीं ठहराया जा सकता है। इस्कान मंदिर हमेशा प्रेम और सद्भाव के कारण सारी दुनिया में तेजी के साथ फैला। बांग्लादेश में वह भी विवादित बन गया है। अंतरिम सरकार के राष्ट्रपति मोहम्मद यूनुस हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंता को प्रोपेगेंडा बता रहे हैं। उन्होंने कहा, उनके पास इसके ठोस आधार हैं। उन्होंने शेख हसीना पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रत्यापन की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच में प्रत्यावर्तन संधि का समझौता है। भारत को इसका पालन करना चाहिए। भारत सरकार को बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को सामान्य और बेहतर बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। भारत सरकार इस मामले को हिंदू और मुसलमान के एंगल से देखकर शेख हसीना को बचाने के चक्कर में खुद एक पार्टी बन गईं है। जिससे भारत की सुरक्षा व्यवस्था और अन्य मामलों में पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को लेकर दूरियां बनना शुरू हो गई हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। हाल ही में भारत के कई हिस्सों में बांग्लादेश के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। भारत में बांग्लादेश के सत्ता संघर्ष को हिंदू-मुस्लिम एंगल से देखा जा रहा है। कहीं ना कहीं भारत सरकार की विदेश नीति में पहली बार यह गड़बड़ी होते हुए देखी जा रही है। भारत सरकार बांग्लादेश के साथ सीधी बात क्यों नहीं कर रही है। इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी हैं। शरणार्थी के रूप में शेख हसीना भारत में रह रही हैं। कम से कम उन्हें बयान देने से भारत सरकार द्वारा रोका जाना चाहिए। यदि यह संदेश बांग्लादेश में जा रहा है, कि शेख हसीना भारत में रहते हुए बांग्लादेश की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं। भारत से बैठकर वह बांग्लादेश की राजनीति कर रही हैं। भारत सरकार का उन्हें समर्थन प्राप्त हो रहा है। ऐसी स्थिति में बांग्लादेश और भारत के संबंधों को सामान्य नहीं बनाया जा सकता है। वर्तमान स्थिति में बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को सुरक्षित कर पाना संभव नहीं होगा। भारत में जिस तरह से मुसलमानो के धार्मिक क्षेत्रों की खुदाई की जा रही है। जगह-जगह सर्वे की शुरुआत हो चुकी है। भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानो के साथ जिस तरह का व्यवहार हो रहा है। इसका असर भी बांग्लादेश के हिंदुओं पर पडता हुआ दिख रहा है। भारत सरकार को बड़ी गंभीरता से वर्तमान स्थिति को देखते हुए बांग्लादेश के साथ अपने राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। अन्यथा बांग्लादेश के साथ-साथ भारत में भी कानून व्यवस्था की स्थिति दिनों दिन खराब हो सकती है। इस बात का भी ध्यान भारत सरकार को रखना होगा। जब तक शेख हसीना भारत में शरण लेकर रह रही हैं। भारत सरकार को उनको भी अनावश्यक बयान देने से नियंत्रित करने की जरूरत है। यहां रहते हुए वह इस तरह का कोई बयान नहीं दें। शेख हसीना के बयान से दोनों देशों के संबंधों पर विपरीत असर पड़े। होना तो यह चाहिए, भारत सरकार को शेख हसीना को किसी ऐसे देश में शरण दिलाने की दिशा में प्रयास करने चाहिए। शेख हसीना भारत में नहीं रहेगी, तभी भारत और बांग्लादेश के संबंध सामान्य हो सकते हैं। भारत और बांग्ला देश पड़ोसी देश हैं। भारत सरकार जितनी जल्दी बांग्लादेश के आंतरिक विवाद से दूर होगी, उतनी ही जल्दी भारत सरकार और बांग्लादेश के संबंध सामान्य हो सकते हैं। बांग्लादेश में रह रहे हिंदू भी सुरक्षित होंगे। भारत सरकार को इस विषय पर गंभीरता से चिंतन करते हुए अपने संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। भारत को बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में दखल देने के स्थान पर अपने हितों को सुरक्षित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। .../ 4 दिसम्बर /2024