राष्ट्रीय
04-Dec-2024
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- मारबर्ग वायरस से 50 प्रतिशत संक्रमितों की हो जाती है मौत नई दिल्ली (ईएमएस)। पिछले कुछ वर्षों में दुनियाभर में संक्रामक रोगों के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। साल 2019 के अंत में शुरू हुए कोरोनावायरस संक्रमण के बाद मंकीपॉक्स, इबोला, स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव बढ़ाया। हालिया रिपोट्र्स में एक और बढ़ते संक्रमण को लेकर चिंता जताई गई है। खबरों के मुताबिक कई अफ्रीकी देशों में मारबर्ग वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। मारबर्ग को ब्लीडिंग आई डिजीज के नाम से भी जाना जाता है, इस वायरस से संक्रमण के कारण अब तक 15 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। पिछले दो महीनों में ये वायरस 17 से अधिक अफ्रीकी देशों में फैल चुका है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक दुनियाभर के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी इस घातक वायरस के प्रसार पर नजर रख रहे हैं और सभी लोगों को संक्रमण से बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी गई है। ये वायरस पहले भी फैलता रहा है हालांकि इस बार एक नया स्ट्रेन सामने आया है जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। इसके एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से प्रसार और घातक लक्षण पैदा करने की खबरें सामने आ रही हैं। संक्रमण की चपेट में आए आधे से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। पहले भी देखा गया है इसका प्रकोप ऐसा नहीं है कि मारबर्ग पहली बार स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा रहा है। साल 2003 से लेकर समय-समय पर इसका प्रकोप देखा जाता रहा है। फरवरी 2023 में इक्वेटोरियल गिनी में इस वायरस के कारण 16 लोगों में संक्रमण और 12 मौतें हुईं थीं। साल 2012 में यूगांडा में 15 लोगों को संक्रमित पाया गया और चार लोगों की मौत हुई। नियमित अंतराल पर वायरस में म्यूटेशन और इसके कारण संक्रमण बढऩे के मामले सामने आते रहे हैं। इस रोग के विशिष्ट लक्षणों में से एक है- आंखों से खून आना है और इसलिए इसे ब्लीडिंग आई डिजीज भी कहा जाता है। कोरोना से भी खतरनाक है इसका संक्रमण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, मारबर्ग वायरस डिजीज (एमबीडी) का जोखिम उन लोगों में अधिक देखा जाता रहा है जो लंबे समय तक खदानों या गुफाओं में रहते हैं। इन स्थानों पर चमगादड़ों का निवास होता है जिसे इस वायरस के प्रमुख स्रोत माना जाता है। कुछ रिपोट्र्स कहते हैं, कोरोना और हाल फिलहाल में फैले कई अन्य संक्रामक रोगों की तुलना में मारबर्ग वायरस अधिक खतरनाक है। मारबर्ग आमतौर पर जानलेवा होता है, इसका औसत मृत्यु दर लगभग 50 प्रतिशत है। कोविड-19 के कारण फिलहाल मृत्यु का खतरा 2.7 से 4 प्रतिशत के बीच रहा है। कोविड-19 से बचाव के लिए टीके और सहायक उपचार उपलब्ध हैं हालांकि मारबर्ग वायरस के लिए कोई भी वैक्सीन या विशिष्ट उपचार नहीं है।