अंतर्राष्ट्रीय
04-Dec-2024
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सियोल(ईएमएस)। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार को विपक्षी दलों पर सरकार को पंगु बनाने, उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति रखने और देश की संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ की घोषणा की थी। उन्होंने टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में यह घोषणा की थी। इसके बाद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार देर रात देश से मार्शल लॉ हटाने की घोषणा की। राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने इसकी जानकारी दी। दरअसल, संसद में भारी विरोध के बाद इसे अमान्य करार दिया गया था। देर रात सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के 300 में से 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को अस्वीकार करने के लिए मतदान किया। जिसके बाद मार्शल लॉ को हटाना पड़ा। साल 1980 में छात्रों और श्रमिक संघों के नेतृत्व में एक राष्ट्रव्यापी विद्रोह के दौरान आखिरी बार किसी दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ की घोषणा की थी। राष्ट्रपति यून सुक-योल ने अपने संबोधन में कहा, दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों द्वारा उत्पन्न खतरों से बचाने और देश विरोधी तत्वों को खत्म करने के लिए मैं इमरजेंसी मार्शल लॉ की घोषणा करता हूं। उन्होंने देश की स्वतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए इसे आवश्यक बताया। यह घोषणा अगले साल के बजट को लेकर यून की पीपुल्स पावर पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच जारी विवादों के बाद आई है। मार्शल लॉ के लागू होने के बाद दक्षिण कोरिया में तनाव बढ़ गया था. संसद के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई थी। विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ सांसदों ने भी इसका विरोध किया। सैकड़ों विरोधी और मीडिया कर्मी संसद के बाहर इकट्ठा हो गए, नारेबाजी की और दक्षिण कोरियाई ध्वज लहराकर विरोध प्रदर्शन किया। दक्षिण कोरिया के विपक्षी पार्टी नेता ने राष्ट्रपति युन सुक येओल द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा को असंवैधानिक करार दिया था। वीरेन्द्र/ईएमएस 04 दिसंबर 2024