मुंशी प्रेमचन्द ने कहा था कि जहां 100 में से 80 लोग भूखे मरते हों वहां शराब पीना गरीबों के खून पीने के बराबर है । भूखे को यदि रोटी दे दी जाए तो भूखे की आत्मा की तृप्ति देखकर जो आनन्द प्राप्त होगा वह सच्चा सुख है । आज प्रकृति से छेडछाड हो रही है । प्रकृति के बिना मानव प्रगति नहीं कर सकता । प्रकृति एक ऐसी देवी है जो भेदभाव नहीं करती ,प्रत्येक मानव को बराबर धूप व हवा दे रही है। मानव कृतध्न बनता जा रहा है । मंदिरों में दुष्कर्म हो रहे है । आज मानव स्वार्थ की पट्टी के कारण अंधा होता जा रहा है । गाय पर अत्याचार हो रहा है । नफरत को छोड देना चाहिए । प्रत्येक मनुष्य की सहायता करनी चाहिए । भगवान के पास हर चीज का लेखा -जोखा है ं। आज संस्कारों का अंतिम संस्कार व चीरहरण हो रहा है। संस्कार एक विरासत होती है। संस्कार के कारण ही मानव की पहचान होती है। संस्कारहीन मानव समाज के लिए घातक है। संस्कारों से बडी कोई पूंजी है। मानवीय मूल्यों का पतन होता जा रहा है। ,खूनी रिश्ते खून बहा रहे हैं । संस्कृति का विनाश हो रहा है । दया ,धर्म ,ईमान का नामेानिशान मिट चुका है । ईमानदारी कराह रही है । आत्मा सिसक रही है। अच्छाई बिलख रही है ,भाईचारा ,सहयोग,मदद एक अंधेरे कमरे में सिमट गये हैं । इनसान पशु से भी बदतर होता जा रहा है । क्योकि यदि पशु को एक जगह खूंटे से बांध दिया जाए,तो वह अपने आप को उसी अवस्था में ढाल लेता है । जबकि मानव परिस्थिितियों के मुताबिक गिरगिट की तरह रंग बदलता है। । वर्तमान में अच्छे व संस्कारवान मनुष्य की कोई गिनती नहीं है। । बुराई का सर्वत्र बोलबाला हो रहा है । आज ईमानदारों को मुख्यधारा सेे हाशिए पर धकेला जा रहा है। गिरगिटों व बेईमानों को गले से लगाया जा रहा है । कहते हैं दुनिया में कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो इनसान को गिरा सके ,इनसान ,इनसान द्वारा ही गिराया जाता है । ईश्वर की चक्की जब चलती है तो वह पाप व पापी को पीस कर रख देती है मानव सेवा ही नारायण सेवा है । यह अटल सत्य है । भगवान व शमशान को हर रोज याद करना चाहिए । किसी को दुखी नहीं करना चाहिए । मानवता ही सबसे बड़ी पूंजी होती है बेशक ईश्वर ने संसार में करोडों जीव जन्तु बनाए ,लेकिन इनसान सबसे अहम कृति बनाई । लेकिन ईश्वर की यह कृति पथभ्रष्ट हो रही है । आज सड़को पर आदमी तड़फ-तड़फ कर मर रहा है । आज पैसे का बोलबाला है । चोरउच्चकों ,गुंडे ,मवालिओं का आदर सत्कार किया जाता है । आज हंस भीड में खोते जा रहे हैं,कौओं को मंच मिल रहा है । हजारों कंस पैदा हो रहे हैं एक कृष्ण कुछ नहीं कर सकता । आज कतरे भी खुद को दरिया समझने लगे है लेकिन समुद्र का अपना आस्तित्व है । मानव आज दानव बनता जा रहा है । संवेदनाएं दम तोड रही हैं । मानव आज लापरवाही से जंगलों में आग लगा रहा है उस आग में हजारों जीव-जन्तु जलकर राख हो रहे हैं । जंगली जानवर शहरों की ओर भाग रहे हैं ,जबकि सदियां गवाह है कि शहरों व आबादी वाले इलाकों में कभी नहीं आते थे ,मगर जब मानव ने जानवरों का भोजन खत्म कर दिया । जीव-जन्तओं को काट खाया तो जंगली जानवर भूख मिटाने के लिए आबादी का ही रूख करेंगें । नरभक्षी बनेगें । आज संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है । आज मानव मशीन बन गया है निजी स्वार्थो के आगे अंधा हो चुका है। अपने ऐशो आराम में मस्त है। दुनिया से कोई लेना देना नहीं है । संस्कारों का जनाजा निकाला जा रहा है । मर्यादाएं भंग हो रही हैं । मानव सेवा परम धर्म है । आज लोग भूखे प्यासे मर रहे हैं । दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं । भूखमरी इतनी है कि शहरों में आदमी व कुते लोगों की फैंकी हुई जूठन तक एक साथ खाते हैं। आज मानव भगवान को न मानकर मानव निर्मित तथाकथित भगवानों को मान रहा है । आज मानव इतना गिर चुका है कि रिश्ते नाते भूल चुका है । रिश्तों में संक्रमण बढता जा रहा है । मानव धरती के लिए खून कर रहा है । कई पीढियां गुजर गई मगर आज तक न तो धरती किसी के साथ गई न जाएगी । फिर यह नफरत व दंगा फसाद क्यों हो रहा है । मानव ,मानव से भेदभाव रि रहा है । उंच-नीच का तांडव हो रहा है । खून का रंग एक है फिर भी यह भेदभाव क्यों । यह बहुत गहरी खाई है इसे पाटना सबसे बडा धर्म है । आज लोग बिलासिता पर हजारों -लाखों रूपये पानी की तरह बहा देते हैं ,मगर किसी भूखे को एक रोटी नहीं खिला सकते । शराब पर पैसा उडा रहे हैं । अनैतिक कार्यो से पैसा कमा रहे हैं। पैसा पीर हो गया है । (वरिष्ठ पत्रकार) .../ 4 दिसम्बर /2024