भोपाल(ईएमएस)। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) रेड स्टार मध्य प्रदेश राज्य समिति 3 दिसंबर 1984 की उस भयावह रात को याद करते हुए, जब यूनियन कार्बाइड से निकली जहरीली गैस ने हजारों निर्दोष लोगों की जान ले ली, एक बार फिर से पीड़ितों के लिए न्याय और गरिमापूर्ण जीवन की मांग करती है। यह त्रासदी दुनिया के सबसे भयावह औद्योगिक हादसों में से एक है, जिसने हजारों जिंदगियां छीन लीं जहां आज भी लाखों लोग जहरीले रसायनों के प्रभाव से जूझने के लिए मजबूर हैं। यह त्रासदी न केवल एक औद्योगिक आपदा थी, बल्कि कॉर्पोरेट मुनाफे और राज्य मशीनरी के गठजोड़ का घिनौना उदाहरण भी है, जहां पूंजी के हितों के सामने आम नागरिकों की बलि दी गई। यह कॉर्पोरेट बर्बरता और देश की जनता के खिलाफ राज्य के विश्वासघात का स्पष्ट उदाहरण है। भाकपा (माले) रेड स्टार म.प्र. के राज्य सचिव विजय कुमार ने कहा कि चार दशक बीत जाने के बावजूद पीड़ितों को न तो न्याय मिला है और न ही उनके पुनर्वास और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान हुआ है। हजारों लोग आज भी कैंसर, फेफड़ों की बीमारियों और अन्य घातक रोगों से ग्रस्त हैं। गैस पीड़ित अस्पतालों में जरूरी दवाओं और विशेषज्ञ डाक्टरों की भारी कमी के चलते उन्हे उचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जहरीले रसायनों का प्रभाव अब भी पर्यावरण और जल स्रोतों में बना हुआ है, जिससे अगली पीढ़ी भी प्रभावित हो रही है। प्रभावित परिवारों को आज तक उचित मुआवजा नहीं मिला है, कथित पुनर्वास योजनाएं आज भी अधूरी हैं। मौजूदा कार्पोरेट हितैषी भाजपा सरकार की उदासीनता ने गैस पीड़ितों की दुर्दशा को और गहरा कर दिया है। इसलिए गैस पीड़ितों और संगठनों की मांगों के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए भाकपा (माले) रेड स्टार, मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से निम्नलिखित मांगें करती है: - यूनियन कार्बाइड और डॉव केमिकल के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को गिरफ्तार कर तत्काल कानूनी कार्यवाही शुरू की जाए। - गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कंपनियों की संपत्ति जब्त कर प्रत्येक गैस पीड़ित को 5 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए। - कॉर्पोरेट अपराधियों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने वाले सभी कानूनी प्रावधानों को रद्द किया जाए और भविष्य में इस प्रकार के अपराधों को रोकने और जिम्मेदारों को दंडित करने के लिए कार्पोरेट जबाबदेही कानून बनाया जाए। - कॉर्पोरेट और राज्य अपराधों की पूरी जांच के लिए एक जन न्यायाधिकरण का गठन किया जाए, जो राज्य और कंपनियों की पूरी जवाबदेही तय करे। - क्षेत्र में दीर्घकालिक पारिस्थितिकीय नुकसान का स्वतंत्र वैज्ञानिक आकलन किया जाए। - गैस पीड़ितों के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के सभी दिशानिर्देशों को अक्षरशः लागू किया जाए। - गैस त्रासदी के पीड़ितों की शिकायतों की सुनवाई के लिए एक स्वतंत्र जन न्यायाधिकरण का गठन किया जाए। - प्रदूषित औद्योगिक स्थल का राष्ट्रीयकरण कर स्थानीय समुदाय के सामूहिक नियंत्रण में लाया जाए। - सभी गैस पीड़ितों और उनके परिवार के लिए मुफ्त चिकित्सा सुविधा बिना शर्त प्रदान की जाए। भोपाल मेमोरियल अस्पताल सहित अन्य सभी सरकारी अस्पतालों को आधुनिक तकनीक और उपकरणों से लैस कर विशेषज्ञ चिकित्सकों की पर्याप्त व्यवस्था की जाए जहां गैस पीड़ितों का मुफ्त इलाज हो सके। गैस पीड़ित परिवारों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम चलाया जाए। - गैस त्रासदी प्रभावित क्षेत्र में अन्य आधुनिक अस्पताल और शोध केंद्र स्थापित किए जाएं। - जहरीले रसायनों से प्रभावित भूमि और जल स्रोतों की सफाई तत्काल शुरू की जाए। जहरीले कचरे के निपटान में आने वाले सम्पूर्ण खर्च को, जिम्मेदार कंपनियों से वसूला जाए। - भोपाल गैस त्रासदी के ऐतिहासिक अन्याय को उजागर करने के लिए एक सार्वजनिक स्मारक और विशेष संग्रहालय बनाया जाए। - गैस पीड़ित परिवारों के बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित किया जाए, इसके विशेष कौशल विकास और रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाए। - गैस पीड़ित परिवारों के लिए 5000 रुपए प्रतिमाह पेंशन योजना तत्काल शुरू की जाए। हम भारत की मेहनतकश जनता, बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से अपील करते हैं कि वे भोपाल पीड़ितों के संघर्ष में एकजुटता दिखाएं और न्याय की मांग को आगे बढ़ाएं। हम पूरे देश की मेहनतकश जनता से एकजुटता और कॉर्पोरेट अपराधों के खिलाफ व्यापक जनांदोलन छेड़ने का आह्वान करते हैं। साथ ही, हम मांग करते हैं कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए सख्त औद्योगिक सुरक्षा कानून लागू किए जाएं। भाकपा (माले) रेड स्टार गैस पीड़ितों के संघर्ष में पूरी ताकत के साथ खड़ी है। हमारी पार्टी यह स्पष्ट करती है कि न्याय की इस लड़ाई को तब तक जारी रखा जाएगा, जब तक पीड़ितों को उनका हक नहीं मिल जाता।