नई दिल्ली(ईएमएस)। प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार को इस दावे की निंदा की कि अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की प्रसिद्ध दरगाह को शिव मंदिर के ऊपर बनाया गया है, और सरकार से इस तरह के बढ़ते दावों को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने इस दावे को न केवल बेतुका बताया, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए बेहद हानिकारक बताया। उन्होंने दावा किया कि यह भारत के दिल पर सीधा हमला है। एक बयान में, मदनी ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में जामा मस्जिद को निशाना बनाने वाली हाल की कार्रवाइयों और स्थानीय प्रशासन द्वारा विभाजनकारी तत्वों के नेतृत्व वाली सांप्रदायिक पंचायत को मंजूरी देने की भी आलोचना की। मदनी ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ऐसे तत्वों को बिना किसी दंड के काम करने की अनुमति देती रही, तो इससे विभाजन गहराने और देश की एकता को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचने का खतरा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे दावों को अदालतों द्वारा तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए था। हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की विरासत को रेखांकित करते हुए उन्होंने याद दिलाया कि सूफी संत एक विनम्र व्यक्ति थे, जिनका प्रभाव कभी भी क्षेत्र पर नहीं, बल्कि दिलों पर था। मदनी ने जोर दिया कि इतिहास को फिर से लिखने और विभाजन को भड़काने के ऐसे प्रयास देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और राष्ट्रीय एकता को कमजोर करते हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि सरकार और न्यायपालिका सह-अस्तित्व, सहिष्णुता और शांति की भावना को बनाए रखें, जिसका उदाहरण ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने अपने पूरे जीवन में दिया। सुबोध/०२-१२-२०२४