नई दिल्ली (ईएमएस)। हॉकी के जादूगर के नाम से लोक्रपिय रहे मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ने भी भारतीय टीम की ओर से है कि कई पदक जीते पर वह अपने पिता ध्यानचंद और चाचा रुप सिंह की सफल नहीं हो पाये। इसी को लेकर अशोक ने कहा कि जब भी टीम को रजत या कांस्य मिलता था तो वह पिता और चाचा को पदक दिखाने से बचते थे। अशोक ओलंपिक में कांस्य पदक के अलावा विश्वकप में वह स्वर्ण , रजत और कांस्य तीनों ही पदक जीतने वाली टीम में शामिल रहे हैं। अशोक ने कहा कि हॉकी विश्व कप 1971 में कांस्य और 1973 में टीम ने रजत पदक जीता था जबकि 1972 ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल किया था पर वह इन पदकों को पिता और चाचा को नहीं दिखाते थे। अशोक ने बताया कि जिन महान खिलाड़ियों ने देश के लिए लगातार स्वर्ण जीते हों उनके सामने उससे कम कुछ भी ले जाने में संकोच होता था। वहीं जब टीम ने 1975 कुआलालंपुर विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता को उन्होंने उसे बड़े शान से पिता और चाचा को दिखाया था। उन्होंने साथ ही कहा, खेल को चलाने वाले फेडरेशन की वजह से हॉकी का स्तर नीचे आया है ऐसे बातें कहीं जाती हैं पर हमें उन बातों को याद नहीं रखना चाहिए। हमें इस बात पर गर्व करना चाहिए कि फेडरेशन ने स्वर्ण पदक भी दिलाया है। साथ ही कहा कि खेल का स्तर उसे चलाने वालों पर ही निर्भर करता है। गिरजा/ईएमएस 02 दिसंबर 2024