दहेज का दानव प्रतिदिन बेटियों को निगल रहा है दहेज के दानव का खात्मा करना होगा l आज भले ही लडकी कितनी भी उच्च शिक्षित हो मगर पहली शर्त यही होती है कि यहां से कितना दहेज मिल सकता है दहेज ही सबसे बड़ी योग्यता बन गई हैं। विश्व गुरु कहलाने वाले भारत में बढ़ रही दहेज की संस्कृति को रोकना होगा।प्रतिदिन दहेज के लालचियों द्वारा बेटियों को दहेज की बलि चढ़ाया जा रहा है।देश के हर राज्य में दहेज के मामले प्रकाश में आ रहे हैl दहेज हत्याओं की बढती घटनाएं अशुभ सकेत है आखिर दहेज हत्याऐ क्यों नहीं रुकती है यह एक यक्ष प्रशन बनता जा रहा है।भारत में दहेज हत्याओं की प्रतिश्तता दर बढ़ती ही जा रही हे 18 से 20 वर्ष की लड़कियों की संख्या के ज्यादा मामले प्रकाश में आ रहे हैं।इकलौती बेटियां बलि चढ़ाई जा रही है।समझ नहीं आता कि समाज के लोग चुप क्यों है अगर आज दूसरों की बेटी जलानें के मामले में चुप है मगर कल जब उनकी बेटियों के साथ ऐसा होगा तब भी क्या चुप रहेगें।समाज को इन लोभियों का खात्मा करना होगा। दहेज प्रथा ने आज इतना भयानक रुप धारण कर लिया है कि समाज का प्रत्येक वर्ग इसके कारण दुखी है इसकी भयानकता का प्रमाण प्रतिदिन हो रही घटनाओं में साक्षात नजर आ रहा है। आज सोना 77350 रूपये और चांदी 90297 हो चूका है l गरीब लोग कहाँ से ज़ेवर देंगें l सरकार को सख्त क़ानून बनाना होगा तभी यह आभिशाप मिट सकता है l दहेज उन्मूलन के लिए प्रतिवर्ष लाखों रुपया खर्च किया जाता है सैमीनार लगाए जातें है रैलियां निकाली जाती है नारे लिखे जाते है, मगर नतीजा कुछ नहीं निकलता। जो जनता के मसीहा ऐसे कानून बनाते है वही लोग इसका सरासर उल्लघन करते हैं।बेशक देश में दहेज के खिलाफ ढेरों कड़े कानून बनाए है मगर यह कानून फाईलों की धूल चाट रहे हैं। पिछले बीते दस सालों के यह आंकडे बहुत ही खौफनाक तस्वीर प्रस्तूत कर रहे हैं। आज बेटियों को जलाया जा रहा है यातनाएं दी जा रही हैं ऐसे कई रुह कंपा देने वाले मामले हर रोज देखने को मिल रहे हैं। गरीब घरों की बेटियां चारदीवारी के अन्दर ही अन्दर घूटती रहती है उनकी सिसकियां देखने वाला कोई नहीं है क्योकि उन्हे डर होता है कि यदि विरोध किया तो न घर की रहेगी न घाट की रहेगी इसलिए चुपचाप नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड व्यूरों में दर्ज मामले चैकानें वाले है हर वर्ष इन घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हो रही है मगर सरकारें मूकदर्शक बनी हुई हैंै।कानूनों का उल्लघन हो रहा है।दहेज प्रथा की जड़े गहरी होती जा रही है अगर समय रहते इन जड़ों को काटा नहीं गया तो बाद में पछतानें के सिवाय कुछ हासिल नहीं होगा।आज गरीबों की बेटियों को दहेज के लिए मारा जा रहा है।दहेज लोभियों को जमानतों पर छोड़ा जा रहा है।पैसें के बल पर जेलों से रिहा हो रहे है।फिर न्याय की उम्मीद किस से करें।गरीब आदमी कुछ नहीं कर पा रहे है।न्याय के लिए भटक रहे है पर न्याय नहीं मिल रहा है।दहेज लालची अपने बिगडैल लाडलों की दूसरी शादियां कर रहे हैैं।विडम्बना देखिए की लोग इन अपराधियों से अपनी बेटियों की शादियां कर रहे है।समाज को ऐसे लोगों का बहिष्कार करना चाहिए जो दहेज के लिए मार चुके अपराधियों को अपनी बेटियां सौंप रहे है।ऐसे लोगों को तब होश आएगा जब उनकी बेटियां भी मौत के घाट उतारी जाएगी।ऐसे लोग समाज पर कलंक है जो दहेज लोभियों का साथ देते है। दहेज की प्रताड़नाओं से दुखी होकर बेटियां आत्महत्या कर रही है छोटे-छोटे व दूधमुहें बच्चे-बच्चियां छूट रहे है। बिना मां के इन मासूम बच्चों का जीवन नरक बन रहा है।क्योकि दहेज लोभी दूसरी शादियां कर रहे है।फिर इन बच्चों को नारकीय जीवन जीनें के लिए मजबूर होना पड़ता है।कानून के अनुसार दहेज लेना व देना कानूनी जुर्म है मगर इस नियम की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।आज लोग भारी-भरकम दहेज दे रहे हैं जिस कारण यह प्रचलन दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।गरीब लोग दहेज देने में असमर्थ है नतीजन ससुराल पक्ष के लोग उन्हे प्रताड़ित करते हैं।देश का कोई भी राज्य इस दहेज की बीमारी से अछूता नहीं है हर राज्य में दहेज हत्याओं के मामले घटित हो रहे हैं।सामाजिक संस्थाएं भी ऐसे मामलों पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रही है वे भी कुछ मामलो को ही तरजीह देती है दहेज हत्याओं का ग्राफ घटनें के बजाए निरंतर बढता ही जा रहा है। कानून का लचीलापन तथा सरकारें इसके लिए जिम्मेवार हैं।आज पंजाब ,हरियाणा, हिमाचल व उतर प्रदेश,राजस्थान जैसे राज्यों मे प्रतिदिन ऐसे मामले हो रहे है। मुम्बई, कोलकाता ,दिल्ली व चैन्नई जैसे महानगरों में तो ऐसे मामले हदें पार कर चुके हैं क्योकि यहां हर दिन दहेज हत्याएं होती है । मगर दहेज के लोभियों पर कोई सख्त कारवाई नहीं हो रही है नतीजन यह प्रथा विकराल रुप धारण करती जा रही है यदि सरकारें इन दहेज के लालचियों पर शिकंजा कसे तो इस प्रथा को रोका जा सकता हे मगर राज्य सरकारें हाथ पर हाथ धरे तमाशा देख रही हैं।दहेज न देने के कारण आज गरीब लड़कियों की शादीआं नहीं हो रही है क्योकि आज लोग दहेज के लालची हो गए हैं।आज लोग अपनी जमीन-जायदादे तथा सोने-चांदी के आभूषणों को गिरवी रखकर दहेज दे रहे है साहूकारों से पैसा उधार लेकर बेटियों के हाथ पीले कर रहे है ताकि शादी हो सके उसके बाद भी लालचियों का पेट नहीं भरता है। उसके बाद भी और दहेज लाने के लिए तंग करते हैं। अमीर व साधन-संपन्न लोग लाखों रुपयों का दहेज देते है मगर इसकी मार प्रत्यक्ष रुप से गरीबों पर पड़ रही है लोग देखा-देखी में ज्यादा से ज्यादा दहेज दे रहे है। धन्नासेठ इतना दहेज देते है कि उसकी कीमत लाखों में होती है। अक्सर देखा गया है कि कई रईस लोग नकद पैसा भी देते हैं। कार व कोठी तक देते हैं। जबकि संस्थाओं को ऐसे लोगों को कटघरे में खड़ा करके सजा दिलवानी चाहिए ताकि आने वाले समय में दहेज प्रथा पर पूर्ण रुप से प्रतिबन्ध लगाया जा सके। क्यांकि राजनेता से लेकर धन्नासेठ इतना दहेज देते है कि उसकी कीमत लाखों में होती है। अक्सर देखा गया है कि कई रईस लोग नकद पैसा भी देते हैं। कार व कोठी तक देते हैं। दहेज के विरुद्ध कुछ वर्ष पहले मेरठ की एक बहादुर लडकी निशा ने दहेज के लोभियों को ऐसा सबक सिखाया था कि उन्हे ताउम्र सबक याद रहेगा निशा एक मिसाल बन गई थी जब उसने बारात को वापिस भेजा ओर दहेज के लालचियों को पुलिस के हवाले करके हवालात भिजवाया था निशा के इस जज्बे को पूरा भारत सलाम करता है कि यदि हर लडकी निशा जैसा संबल दिखाए तो इस प्रथा का अंत हो जाएगा।सरकारों को इन मामलों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।दहेज के कारण आज बेटियों का जीवन बरवाद हो रहा है कई घरों की इकलौती बेटियां दहेज की बलि चढ़ाई जा रही हैं। सरकारों को एक ऐसी कमेटियां गठित करनी चाहिए कि जो लोगों को जागरुक कर सके ताकि एकजुट होकर इस प्रथा के खिलाफ कदम उठ सकें। समाज को इस कुरीती के विरुद्ध खडा़ होना पडे़गा तब इस पर विराम लग सकता है।दहेज के लिए मानव से दानव बन चुके इन लोगों को सजा ए मौत देनी चाहिए।सरेआम चोराहो पर सजा देनी चाहिए ताकि समाज के दूसरे लोग भी सबक सीख सकें। अगर अब भी सरकारों से लापरवाही बरती तो दहेज हत्याएं होती रहेगी। निति-नियंताओं को चाहिए कि इस पर रोक लगाने के लिए कारगर कदम उठाएं ताकि इस दहेज के दानव से निजात मिल सके।वक्त अभी संभलने का है।दहेज विरोधी संस्थाओं को ऐसे लोगों को कटघरे में खड़ा करके सजा दिलवानी चाहिए ताकि आने वाले समय में दहेज प्रथा पर पूर्ण रुप से प्रतिबन्ध लगाया जा सके। सरकार के कानून फाईलों की धूल चाटते रहेगें दहेज के नाग बहु-बेटियों को काटते रहेंगें।समाज को आगे आना होगा, दहेज प्रथा को जड़ से मिटाना होगा समाज में जब तक यह दहेज संस्कृति पलती रहेगी। तब तक हर रोज किसी की मां किसी की बेटी,किसी की बहन दहेज के लिए जलती रहेगी l समाज एकजुट होकर इस बुराई को खत्म कर सकता हैl ईएमएस / 01 दिसम्बर 24