कोरबा (ईएमएस) कोरबा अंचल को नेसर्गिग्ता काले हीरे के रूप में कोयले के अकूत भंडार का अनमोल खजाना सुलभ कराया गया। प्रारंभ वर्ष 2015 में इसके गठन के साथ 500 करोड़ रूपए की राशि अनुमोदित की गयी। इसके गठन की मूल भावना यह थी, की इसका उपयोग खदान प्रभावितो को शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, एवं भू-विस्थापितो के विकास कार्यो के लिए खर्च किया जाए। इस कमेटी के अध्यक्ष पदेन जिला कलेक्टर तय किये गए, जिनके साथ जिला पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायत, सीईओ, निगम आयुक्त, जिला खनिज अधिकारी, सांसद, एवं विधायक सुनिश्चीत किये गए। ताकि खदान प्रभावित क्षेत्रों में समुचित विकास हो सके। विकास कार्यो से कोयला प्रभावित क्षेत्रों में निवासरत आबादी को समुचित सुविधाएं प्राप्त हो सके और विकास का पहिया तेजी से चले। प्रारंभिक दौर में स्तुत्य विकास हुआ भी जो अभी भी जारी हैं, किंतु कुछ विकास योजनाए और उनका क्रियान्वयन शनै-शनै विवाद के घेरे में भी आ फंसी। वास्तविकता का खुलासा तो उच्च स्तरीय तकनीकी खोजबीन और जांच-पड़ताल से ही हो पायेगा। किंतु जो तथ्य शनै-शनै उभर रहे हैं, उससे बंदरबाट और अफसरों की स्वेक्क्षाचारिता भी सामने आ रही हैं। इसी कड़ी में जिला खनिज न्यास मद के दुरूपयोग का एक और हैरतजनक एवं सनसनी खेज मामले की चर्चा अंचल के आभा मंडल पर उभर कर तैर रही हैं। वह न केवल जांच बल्कि जांच परिणामो की प्रतीक्षा में भी हैं। ऐसी एक विकास की योजना बनाई गयी जिसमे लगभग 10 करोड़ रूपए स्वाहा हो गए और योजना की बर्बादी का दृश्य देखकर कलेजा भी विहल हो जाता हैं। जानकारी के अनुसार जहां सरकारी पैसे का दुरुपयोग करते हुए लगभग 10 करोड़ की लागत से बने भवन को उपयोग किये बिना ही खंडहर बना दिया गया है। मामला वर्ष 2018 में बाल सुधार गृह भवन निर्माण हेतु लगभग 10 करोड रुपए राशि जारी करने का बताया जा रहा हैं। इसकी निर्माण एजेंसी नगर पालिक निगम कोरबा को नियुक्त किया गया था। लेकिन निर्माण के बाद आज पर्यंत तक उसे बिल्डिंग को हस्तानांतरित नहीं किया जा सका है, और बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो गई है। प्रारंभ में इस भवन निर्माण की योजना जिस जगह के लिये बनी थी, वह जगह भी स्थानांतरित किये जाने की जानकारी मिली। अब यह भवन कोहड़िया क्षेत्र में बताया जा रहा हैं। वही दुसरी और भारी अपव्यव के बावजूद इस कथित भवन के लाभ से वंचित बाल सुधार गृह में रहने वाले बच्चों की स्थिति दयनीय होने की जानकारी दी जा रही हैं। जानकारी के अनुसार जिले के रिसदी स्थित किराए भवन के बेसमेंट जैसी जगह पर बच्चों को रखा जा रहा है। जहां कभी मुर्गी पालन केंद्र संचालित था, और जानकारी यह भी मिली हैं इसका हर महीने 30 हजार रुपया दिया जा रहा है। 27 नवंबर / मित्तल