राष्ट्रीय
24-Nov-2024


नई दिल्ली (ईएमएस)। अदालत ने 2020 में हुए दिल्ली दंगा मामले में 25 आरोपियों के खिलाफ हत्या, आगजनी और डकैती समेत कई आरोप तय करने का आदेश दिया है। यह मामला पुलिस दल पर उस हमले से संबंधित है जिसमें हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई थी। जस्टिस पुलस्त्य प्रमाचला ने यह भी कहा कि संविधान किसी भी प्रदर्शनकारी को हिंसा, हमला, हत्या या किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं देता, इसलिए यह तर्क पूरी तरह से अनुचित है कि आरोपी अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे थे। अदालत ने 27 लोगों के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इन लोगों पर उस भीड़ का हिस्सा होने का आरोप है जिसने चांद बाग विरोध स्थल पर 24 फरवरी 2020 को पुलिस दल पर उस समय क्रूरता से हमला किया जब अधिकारियों ने उन्हें मुख्य वजीराबाद सड़क को अवरुद्ध करने से रोकने की कोशिश की। अदालत ने 22 नवंबर को पारित 115 पन्नों के अपने आदेश में कहा कि लाल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली के घाव और 21 अन्य बाहरी चोटों का पता चला है। इसने कहा, ‘गोली का यह घाव और साथ ही पांच अन्य घाव मौत का कारण बनने के लिए पर्याप्त पाए गए। इस प्रकार, हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हमले और गोली लगने के कारण हुई। अभियोजन पक्ष के अनुसार, जब दंगाई भीड़ ने अधिकारियों पर हमला करना शुरू कर दिया था तो अधिकारियों को बचाने के दौरान लाल को 24 चोटें आईं। लाल के अलावा तत्कालीन डीसीपी और एसीपी को भी गंभीर चोटें आईं, जबकि 50 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए। अदालत ने कहा कि घटना के दिन प्रदर्शनकारियों ने इस स्पष्ट उद्देश्य से हिंसा की कि वे सरकार को अपनी ताकत दिखा सकें। बालेन्द्र/ईएमएस 24 नवंबर 2024