अंतर्राष्ट्रीय
24-Nov-2024
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लंदन (ईएमएस)। हमारे ग्रह को सूर्य और अंतरिक्ष से आने वाली हानिकारक विकिरणों से बचाने वाला पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र तेजी से बदल रहा है। इसको लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता व्यक्त की है। खासतौर पर उत्तरी चुंबकीय ध्रुव, जो अब तक कनाडा के ऊपर स्थित था, तेजी से रूस के साइबेरिया की ओर खिसक रहा है। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे (बीजीएस) के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खिसकाव इंसानों और तकनीकी प्रणालियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2040 तक कम्पास सच्चे उत्तर की बजाय पूर्व की ओर इंगित कर सकते हैं। इसके साथ ही, दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव भी अंटार्कटिका के ऊपर पूर्व की ओर खिसक रहा है। पृथ्वी के बाहरी कोर में मौजूद पिघला हुआ लोहा अनियमित रूप से प्रवाहित होता है, जो चुंबकीय ध्रुवों में बदलाव का कारण बनता है। यह प्रक्रिया लाखों सालों में एक बार होती है। हालांकि, आखिरी बार यह बदलाव 780,000 साल पहले हुआ था, जिससे वैज्ञानिक मानते हैं कि अब यह परिवर्तन बहुत देर से हो रहा है। अगर पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो जाता है या गायब हो जाता है, तो सौर पवन और हानिकारक विकिरण सीधे पृथ्वी की सतह तक पहुंच सकते हैं। इससे पर्यावरण, जीव-जंतुओं और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ेगा। विकिरण की बढ़ी हुई दर से कैंसर और कोशिकाओं में म्यूटेशन की संभावना बढ़ सकती है। ब्रिटिश और अमेरिकी वैज्ञानिक चुंबकीय क्षेत्र और ध्रुवों के खिसकने पर लगातार नजर रख रहे हैं। यह समझना जरूरी है कि यह बदलाव धीमा है, लेकिन इसके प्रभाव लंबे समय तक महसूस किए जा सकते हैं। वैज्ञानिक इस बदलाव के पीछे की प्रक्रिया को और बेहतर तरीके से समझने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि इसके प्रभावों को कम किया जा सके। वैज्ञानिकों के मुताबिक, उत्तरी ध्रुव का खिसकना कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीते कुछ दशकों में इसकी गति में अप्रत्याशित तेजी आई है। 1990 और 2005 के बीच, इसकी गति 15 किलोमीटर प्रतिवर्ष से बढ़कर 50-60 किलोमीटर प्रतिवर्ष हो गई। यह अब तक कनाडा से 2,250 किलोमीटर दूर साइबेरिया की ओर बढ़ चुका है। अगर यह गति जारी रही, तो अगले दशक में यह 660 किलोमीटर और आगे बढ़ सकता है। चुंबकीय उत्तरी ध्रुव का खिसकाव नेविगेशन सिस्टम, जैसे जीपीएस, विमान, पनडुब्बियों और स्मार्टफोन्स के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सुदामा/ईएमएस 24 नवंबर 2024