-कभी यूक्रेन के पास भी थे न्यूक्लियर हथियार, अब दूसरों पर है निर्भर कीव,(ईएमएस)। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को एक हजार दिन पूरे हो चुके हैं और अब यह युद्ध नाजुक दौर में पहुंच गया है। दोनों ही देश एक दूसरे पर आक्रमण कर रहे हैं। दोनों ही बर्बादी का दंश झेल रहे हैं। इस बीच यूक्रेन ने बड़ा दावा करते हुए कहा है रूस ने यूक्रेनी शहर द्निप्रो पर गुरुवार को लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया है। यदि यूक्रेन का दावा सही निकलता है तो यह इतिहास में पहली बार होगा जब किसी देश ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मानी जाने वाली इस मिसाइल का इस्तेमाल किया है। मास्को ने यूक्रेन के इन आरोपों को खारिज किया है। यह घटना तब हुई जब बाइडेन प्रशासन से इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद यूक्रेन ने रूस में छह अमेरिकी निर्मित लंबी दूरी की मिसाइलें दागीं। रूस ने इसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा खींची गई रेड लाइन को पार करना बताया है। दोनों देशों के बीच मौजूदा बढ़ते तनाव से परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ गया है। जिस तरह आज परमाणु युद्ध को लेकर वैश्विक परिस्थितियां बन रही हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। ऐसे समय में विश्व में जहां कई देशों ने परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश की है और कुछ देश गुप्त रूप से ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं, यूक्रेन एक अपवाद के रूप में सामने आया है। बता दें यूक्रेन उन चार गणराज्यों में से एक था जहां सोवियत संघ ने रूस, बेलारूस और कजाकिस्तान के अलावा अपने परमाणु कार्यक्रम का विस्तार किया था। एक रिेपोर्ट के मुताबिक सिर्फ परमाणु हथियार ही नहीं, बल्कि उसके पास 176 आईसीबीएम मिसाइलें भी थीं जिनकी न्यूनतम मारक क्षमता 5,500 किमी तक थीं। इसके अलावा इसमें 10 थर्मोन्यूक्लियर बम भी थे, जो हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों से कई गुना अधिक शक्तिशाली थे। आज यूक्रेन के पास कोई परमाणु हथियार नहीं है, और यूक्रेन के एक वर्ग को इस फैसले पर अफसोस है क्योंकि उसे रूस से आक्रमण का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल यूक्रेन रूस से लड़ने के लिए अपनी सैन्य जरूरतों के लिए अमेरिका पर निर्भर है। पूर्व परमाणु-बेस कमांडर और यूक्रेनी संसद सदस्य सहित कई शीर्ष अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन को कभी भी न्यूक्लियर लीड को नहीं छोड़ना चाहिए थी। यूक्रेन ने 1991 में स्वतंत्रता की घोषणा की और 1994 में परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए, जो 1968 में परमाणु हथियारों के खिलाफ प्रमुख समझौता था। उस समझौते ने यूक्रेन की संप्रभुता की सुरक्षा की गारंटी दी और इसे बुडापेस्ट मेमोरेंडम के रूप में जाना जाता है। रूसी आक्रमण के बीच इस पर गरमागरम बहस हो रही है। 2 जून 1996 को जब अंतिम परमाणु हथियार रूस में पहुंचा तो यूक्रेन ने अपना परमाणु टैग खो दिया था। सिराज/ईएमएस 24 नवंबर 2024