-चार साल की जॉच के बाद ईओडब्ल्यू ने 7 के खिलाफ दर्ज किया मामला -आरोपियो में दो जालसाज दंपत्ति भी शामिल भोपाल(ईएमएस)। एक ही फ्लैट पर हेराफेरी करते हुए अलग-अलग बैको से लाखो का लोन लेने के मामले में चार साल चली लंबी जॉच के बाद ईओडब्ल्यू ने 7 के आरोपियो के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियो में दो ऐसे जालसाज दंपत्ति भी शामिल है, जिन्होंने एक नहीं तीन बैंकों से एक ही फ्लैट खरीदने के नाम पर लोन ले लिया। दोनो पतियो सहित उनकी पत्नियो को भी आरोपी बनाया गया है। सारा फर्जीवाड़ा तब उजागर हुआ जब एक बैंक को लोन अकाउंट एनपीए हो गया। जानकारी के अनुसार निशातपुरा इलाके में स्थित गोपाल गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा निरंजन कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है। इसी कॉलोनी में जनवरी 2018 में एक फ्लैट मकबूल खान पिता अख्तर खान और उसकी पत्नी रेशमा बेगम के नाम से खरीदा गया था। मकबूल ने फ्लैट खरीदने के लिए यूनाईटेड बैंक आफ इंडिया से 17 लाख 60 हजार रुपए से अधिक का लोन लिया। इसके साथ ही दंपत्ति मकबूल और रेशमा ने मकान के फर्नीचर के नाम पर बैंक से चार लाख 84 हजार रुपए से अधिक का लोन भी ले लिया। इस लोन के छह दिन बाद ही ग्यासीराम रैकवार पिता लक्ष्मीनारायण रैकवार और उसकी पत्नी अंजु रैकवार ने भी बैंक से 19 लाख 47 हजार रुपए से ज्यादा का लोन लिया। लोन लेने के कुछ महीने बाद ही इसकी ईएमआई जमा होना बंद हो गई। रिकवरी की कोशिश के बाद अगस्त 2018 में दोनों लोन लेने वालो के एकांउट एनपीए हो गए। इस संबध में नियमानुसार दिसंबर, 2018 में जाहिर सूचना प्रकाशित कराई गई। इसका प्रकाशन होने के बाद इलाहाबाद बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र ने बताया कि दोनों दंपतियों ने इसी संपत्ति पर उनके यहां से भी बैंक लोन लिया है। बताया गया है की यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया ने मकबूल खान, रेशमा बेगम, ग्यासीराम रैकवार और अंजू रैकवार द्वारा 41 लाख 90 हजार रुपए से ज्यादा का लोन लिया गया है, वहीं इलाहाबाद बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र से जालसाज दंपत्ति ने कितना लोन लिया है, यह फिलहाल साफ नहीं हो सका है। आरोपियों ने गोपाल गृह निर्माण समिति के फ्लैट को बंधक भी रख दिया था। बैंक जॉच में गड़बड़ी सामने आने के बाद मैनेजर का ट्रांसफर कर दिया गया था। बैक की और से रायपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात सहायक प्रबंधक विजय कुमार ने मामले की जांच की थी। जांच में सामने आया कि सोसायटी के सर्वेसर्वा ऋषि पाराशर पिता ललित पाराशर निवासी निशातपुरा स्थित संजीव नगर की भूमिका भी इस जालसाजी में संदिग्ध है। उन्होंने संपति बेचने के लिए पॉवर आफ अटॉर्नी गोविंदपुरा स्थित भेल के सरकारी मकान में रहने वाले पंकज शर्मा पिता ओपी शर्मा को दी थी। गड़बडी सामने आने के बाद बैंक की और से 24 जनवरी, 2020 को शिकायत की गई थी। चार साल तक चली जांच क बाद ईओडब्ल्यू ने इस मामले में पंकज शर्मा, ऋषि पाराशर, मकबूल खान, रेशमा बेगम, ग्यासीराम रैकवार, अंजू रैकवार को आरोपी बनाया है। वहीं मनीष जायसवाल निवासी सुभाष नगर की भूमिका जांची जा रही है। जुनेद / 23 नवंबर