सीसामऊ सीट पर सपा ने बीजेपी के सुरेश अवस्थी को हराया कानपुर,(ईएमएस)। कानपुर की सीसामऊ सीट पर समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी नसीम सोलंकी जीत गई हैं। यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। यहां से पहले नसीम के पति इरफान सोलंकी विधायक थे। इरफान को सजा होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उसके बाद सीसामऊ सीट पर उपचुनाव हुआ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस सीट पर इरफान की पत्नी नसीम और बीजेपी ने सुरेश अवस्थी को टिकट दिया था। नसीम सोलंकी अपने पति की इज्जत और सपा का गढ़ बचाने में कामयाब रहीं। नसीम सोलंकी ने अपने पूरे चुनाव प्रचार में अपने पति इरफान सोलंकी को जेल में जबरन डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इरफान को साजिश के तहत फंसाया गया ताकि वह चुनाव न लड़ सकें और अपने लोगों के काम न करवा सकें। इसको लेकर वह लगातार जनता के बीच गईं और इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया। बता दें कानपुर की डिफेंस कॉलोनी की रहने वाली नजीर फातिमा ने जाजमऊ थाने में नवंबर, 2022 में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि सपा विधायक इरफान और उनके भाई ने उसके घर पर आगजनी की थी। इस मामले में कोर्ट ने इरफान सोलंकी को 7 साल की सजा सुनाई, जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई थी और फिर इस सीट पर उपचुनाव हुआ। इरफान और उनके भाई दिसंबर, 2023 से ही जेल में बंद हैं। नसीम सोलंकी के प्रचार के लिए सपा महासचिव शिवपाल यादव और सांसद डिंपल यादव ने मोर्चा संभाला था। जहां शिवपाल जनसभाएं कर रहे थे, वहीं डिंपल ने उनके लिए रोड शो किया था। एक बार जब मंच पर शिवपाल के साथ नसीम सोलंकी मौजूद थीं तो जनता को संबोधित करते हुए नसीम भावुक हो गईं। उन्होंने रोते हुए जनता से कहा कि बस एक बार विधायकजी (इरफान) को छुड़वा दो। हम थक गए हैं। यह आखिरी लड़ाई होगी। इसके बाद शिवपाल ने कहा था कि यह ऐसा समय है जब बीजेपी ने पूरे यूपी की मां और बेटियों को रुलाने का काम किया है। जब से बीजेपी सत्ता में आई तब से सभी वर्ग, जाति-धर्म के लोगों को परेशान करने का काम किया है। शिवपाल के सामने मंच पर भावुक हुईं नसीम सोलंकी को जनता ने अपना समर्थन दिया। इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान दीपावली की रात नसीम सोलंकी वानखंडेश्वर मंदिर भी गईं थी इसका वीडियो वायरल हुआ और फिर इस पर बवाल मचा था। एक ओर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने विरोध किया तो दूसरी ओर हिंदू समुदाय के लोगों ने मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया था। जहां दोनों ओर के कट्टरपंथियों ने उनकी आलोचना की, वहीं उदारवादियों ने उनका समर्थन किया और नतीजा आज सबसे सामने है। इससे ये साबित हो गया है जात-पात, धर्म-जाति नहीं इंसानियत और भाईचारा से सभी का दिल जीता जा सकता है। सिराज/ईएमएस 23नवंबर24