राष्ट्रीय
23-Nov-2024
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सीएक्यूएम रख रहा नजर, उचित उपाय करने राज्यों को सौंपी जिम्मेदारी नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली इन दिनों गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रही है, जिससे शहरवासियों को सांस लेना भी दूभर हो गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को प्रदूषण की निगरानी करने और कई राज्यों को उचित उपाय करने के लिए मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वायु प्रदूषण का मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा में जलाई जाने वाली पराली को माना जा रहा है, लेकिन इस साल पराली जलाने पर रोक लगाने के बावजूद भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर रिकॉर्ड तोड़ रहा है। प्रदूषण में खतरनाक वृद्धि के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा पहचाने गए प्रमुख कारकों में से एक असामान्य मौसम पैटर्न है। आयोग के एक तकनीकी सदस्य ने बताया कि पिछले साल नवंबर में घने कोहरे ने मौसमी गतिविधियों को काफी हद तक बदल दिया है। घना कोहरा जो पहले इस अवधि में असामान्य था उसने वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का संकट बढ़ गया है। पिछले दो हफ़्तों में बढ़े प्रदूषण स्तर ने आयोग की चिंता बढ़ा दी है, जिससे मौसम की स्थिति पर फिर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है क्योंकि यह एक प्रमुख कारक है। उन्होंने बताया कि पिछले 20 साल में औसतन नवंबर में आधे दिन तक घना कोहरा दर्ज किया जाता था। हालांकि, इस साल लगातार और तीव्र धुंध ने स्थिति को जटिल बना दिया है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गई है। हाल के वर्षों में वैश्विक तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां दुनिया भर के शहरी वातावरण में तेजी से देखने को मिल रही हैं। भारतीय मौसम विभाग से जुड़े एक अनुभवी विशेषज्ञ ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर के महीनों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण भारत के मैदानी इलाकों में बारिश होती है। इस साल बारिश नहीं हुई है। बारिश ना होने से एक प्राकृतिक तंत्र नष्ट हो गया है, जो आमतौर पर प्रदूषकों को फैलाने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। बारिश की कमी ने दिल्ली में प्रदूषण संकट को बढ़ा दिया है। उन्होंने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के सामने प्रदूषण के स्तर की निगरानी और नियंत्रण में आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया। आयोग स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहा है, लेकिन मौसम और वायुमंडलीय कारकों को नियंत्रित करना असंभव है। ये कारक प्रदूषकों के फैलाव और सांद्रता को तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। हवा की गति से लेकर दिशा तक हर तत्व इस बात को प्रभावित करता है कि प्रदूषक दिल्ली में कैसे पहुंचते हैं। दुर्भाग्य से पिछले दो हफ़्तों में ये कारक अनुकूल नहीं रहे हैं, जिससे हवा में स्थिरता बनी हुई है और वायु प्रदूषण बढ़ा है। सीएक्यूएम द्वारा दी जानकारी दिल्ली और शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को संबोधित करने की जटिलता को रेखांकित करती है। चूंकि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न को बदलना जारी है इसलिए नीति निर्माताओं के लिए वायु गुणवत्ता को प्रबंधित करने के लिए समाधान तैयार करते समय इन कारकों पर विचार करना अनिवार्य है। सिराज/ईएमएस 23नवंबर24