| आप माने या न मानें लेकिन मै मानता हूँ कि देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी अपने संकल्पों के धनी हैं । उन्हें उनके दृढ संकल्पों से कोई टस से मस नहीं कर सकता। दुनिया की कोई भी आसमानी-सुल्तानी ताकत उन्हें झुका नहीं सकती,वे अपनी मर्जी से झुक जाएँ ये अलग बात है। मोदी जी के इसी विशेष गुण की वजह से मै उनका मुरीद हूँ [अंधभक्त नहीं ] क्या आपको पता है कि मोदी की सरकार में डेढ़ साल से जल रहे मणिपुर में शांति बहाली के लिए केंद्र ने मणिपुर में पूरे 10 हजार सुरक्षा बलों को भेजा है। इतनी फ़ौज तो संविधान के अनुच्छेद 370 का सुख भोग चुके जम्मू-काश्मीर में भी कभी नहीं भेजी गयी। असम ,अरुणाचल प्रदेश ,नगालैंड नहीं भेजी गयी। मणिपुर में शांति की स्थापना के लिए मोदी जी सब कुछ तो कर रहे हैं ,लेकिन वहां जा नहीं रहे। अब नहीं जा रहे तो नहीं जा रहे किसी को क्या परेशानी है। मोदी जी कोई पानी हैं जो मणिपुर की आग को एक झटके में बुझा देंगे ? कुछ सिरफिरों का मानना है कि यदि मणिपुर की अग्निभूमि पर माननीय मोदी जी के चरण एक बार पड़ जाएँ तो मणिपुर शांत हो सकता है । मोदी जी मणिपुर से जितना परहेज कर रहे हैं ,उसी मणिपुर में आग बुझने के बजाय और भड़क रही है।मणिपुर छोटा सा राज्य है लेकिन इस राज्य के चरमपंथियों के पास जो असलाह है वो भारत के सुरक्षा बलों से ज्यादा मारक और आधुनिक है। आखिर ये सब चरमपंथियों को मिल कहाँ से रहा है ? मोदी जी के रहते कोई भारत की और आँख उठाकर भी नहीं देख सकता ,ऐसे में कौन है जो मणिपुर कि चरमपंथियों को लगातार गोला-बारूद और ड्रोन मुहैया करा रहा है ? मणिपुर की समस्या दरअसल मणिपुर कि लोगों की समस्या है मोदी जी की नही। मणिपुर और मोदी जी अलग-अलग संज्ञाएँ हैं। दोनों को एक नजर से देखना अनुचित है। अब मोदी जी 1947 कि पहले कि महात्मा गांधी तो हो नहीं सकते जो मणिपुर के दंगाग्रस्त क्षेत्रों में जाएँ और उपवास करने बैठ जाएँ ! ये काम गांधीवादियों का है मोदी जी का नहीं। उनका वाद तो दूसरा है। गांधीवाद से एकदम जुदा। मोदी जी के पास गांधी नहीं है, फ़ौज है। उनके पास जो है वो मणिपुर भेजा जा रहा है या नहीं ? मोदी जी के लिए मणिपुर से ज्यादा रूस और यूक्रेन का युद्ध है। वे उसे रुकवाने में जी-जान से लगे हैं। जितनी मेहनत मोदी जी ने रूस और यूक्रेन की जंग रुकवाने के लिए की है उतनी किसी और ने की हो तो बताइये ? अब मणिपुर यूक्रेन से तो बड़ा नहीं है न ! मोदी जी ने मणिपुर के हित में ही शायद वहां न जाने का निर्णय किया है। मुमकिन है कि मोदी जी के मणिपुर जाने से वहां हिंसा थमने के बजाय और भड़क जाये। हो सकता है कि चरमपंथी मोदी जी के मणिपुर आगमन को अन्यथा ले लें। ऐसे में उनका वहां न जाना ही मणिपुर की जनता और देश के हित में है। वैसे भी मोदी जी को कोई भी आसमानी-सुल्तानी ताकत मणिपुर जाने के लिए तैयार नहीं कर सकती। मोदी जी क्या उनके संघ परिवार का भी कोई सदस्य वहां अपनी भागवत सुनाने नहीं जा सकता। संघ परिवार को मणिपुर में जो करना था सो वो कर चुका है। संघ परिवार ने मान लिया है की मणिपुर को हिन्दू राज्य बनाने की कोशिश बेकार है । वो तो जब देश हिन्दू राष्ट्र बनेगा तब मणिपुर अपने आप हिन्दू राज्य बन जाएगा। जैसा कि मैंने शुरूमें ही कहा की मोदी जी को न कोई डरा सकता है और न कोई उन्हें ब्लैकमेल ही कर सकता है। भले ही ये कोशिश करने वाले जेडीयू वाले हों या टीडीपी वाले। मणिपुर वालों ने सारे घोड़े खोल दिए लेकिन मोदी जी ने मणिपुर की डबल इंजिन की सरकार को न बर्खास्त किया और न ही वहां की मुख्य्मंत्री को बदला। आखिर क्यों बदलें ? मुख्यमंत्री बदलने से कोई हिंसा रुक सकती है। मुख्यमंत्री बदलने के प्रयोग तो गुजरात और उत्तराखंड में ही पुसाते हैं। मोदी जी ने उत्तरप्रदेश में मुख्य्मंत्री बदला क्या ? यूपी की अनेक मंत्री,उप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदलने की मांग करते-करते थक गए ,लेकिन मोदी जी को झुका नहीं सके। मोदी जी को न इस देश की संसद झुका सकती है और न देश की सबसे बाद अदालत है। झुकना और न झुकना ये नैसर्गिक स्वभाव होते हैं। इन्हें बदलना इतना आसान नहीं होता। मोदी जीकोई इंदिरा गाँधी हैं जो हवा का रुख देखकर बदल जाएँ। बदलाव अपने आप होता है। अब देखते हैं की मोदी जी ए-2 के अरेस्ट वारंट की बाद झुकते हैं या नहीं ? वैसे हम सुनते आये हैं कि - झुकती है दुनिया ,झुकाने वाला चाहिए। आपकी नजर में ऐसा कोई हो तो जरूर बताइये। क्योंकि हम सब यानि ये पूरा देश चाहता है कि मोदी जी मणिपुर की जनता की आगे झुकें । देश की संसद की आगे झुकें। मुझे तो ये भी लगता है कि ये कहावत भी सच नहीं है कि- फलदार वृक्ष विनम्रता से झुकता है । यदि ये कहावत सही होती तो मोदी जी भी जरूर झुकते । मोदी जी जैसा फलदार वृक्ष राजनीति में तो कम से कम कोई दूसरा नहीं है। राहुल गांधी तो बिलकुल नहीं। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को श्रृंग्वेरपुर धाम जा ही रहे हैं न ! वहां उन्हें भगवान राम और निषादराज की गले मिलती हुई प्रतिमा का अनावरण करना है। मोदी जी अरैल से संगम तक वह निषादराज क्रूज से आएंगे। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।