लेख
23-Nov-2024
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उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार निकाय चुनाव कराने से बच रही है, इसके लिए सरकार लगातार नए-नए रास्ते खोज रही है,ताकि चुनाव टाले जा सके।राज्य में निकाय चुनाव 7 महीने पूर्व होने थे, लेकिन ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट पूरी न होने के चलते इन चुनाव को टाल दिया गया और निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई। नियम के अनुसार मात्र 6 महीने तक ही निकायों में प्रशासक बनाए जा सकते हैं।उत्तराखंड में अब 6 माह बीत जाने के बाद भी निकायों में अभी तक प्रशासक तैनात है, जबकि विपक्षी पार्टियां लगातार निकाय चुनाव के लिए राज्य सरकार से मांग करती आ रही हैं। उत्तराखंड में 7 माह पूर्व ही निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। ऐसे में चुनाव अपने समय से लगभग 7 माह की देरी पर हैं, धामी सरकार की ओर से अभी तक निकाय चुनाव को लेकर कोई भी ठोस कार्यवाही नही की गई है।विपक्षी पार्टियां लगातार निकाय चुनाव को लेकर सरकार पर दबाव बना रही है,लेकिन अभी तक निकाय चुनाव को लेकर राज्य में असमंजस बना हुआ है। पहले उम्मीद की जा रही थी कि निकाय चुनाव सितंबर या अक्टूबर में हो सकते हैं,लेकिन ये दोनों माह भी बिना चुनाव के बीत गए है। निकाय चुनाव कराने को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट में एक रिट याचिका भी विचाराधीन है, जिस पर सुनवाई चल रही है। निकाय चुनाव पिछले कई महीनों से रुका हुआ है, जिसके चलते राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार राज्य सरकार पर आरोप लगा रही है कि भाजपा चुनाव से बचना चाहती है।नगर निकायों का कार्यकाल गत वर्ष दो दिसंबर को समाप्त होने के बाद जब चुनाव की स्थिति नहीं बन पाई तो निकायों को छह माह के लिए प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इस अवधि में भी चुनाव न होने पर प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह बढ़ाया गया। बीते 30 अगस्त को शासन ने नए बोर्ड का गठन होने तक प्रशासकों का कार्यकाल विस्तारित कर दिया था। निकाय चुनाव से संबंधित प्रकरण हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। शासन ने कोर्ट में कहा था कि 25 अक्टूबर तक चुनाव करा लिए जाएंगे, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया है। निकायों में ओबीसी आरक्षण निर्धारण से जुड़ा विषय विधानसभा की प्रवर समिति के हवाले है और समिति को 23 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देनी थी,जो अभी तक नही आई है। इस बीच दो नगर पालिकाओं के नगर निगम में उच्चीकृत होने के साथ ही नगर निगम देहरादून समेत आठ अन्य निकायों में दोबारा से परिसीमन कराया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर सवाल उठाए है, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि विधानसभा में बिल पारित होने के बाद प्रवर समिति को मामला भेजना संसदीय परंपराओं की अवमानना है। प्रवर समिति को भेजने से पहले इन्हें नया बिल पेश करना चाहिए था,जिससे स्प्ष्ट है कि प्रदेश सरकार निकाय चुनाव कराने से डर रही है।उत्तराखंड के 105 में से 102 निकायों में चुनाव कराए जाएंगे। नगर निकाय चुनाव 2011 की जनगणना के आधार पर ही कराए जाएंगे। ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 फीसदी ही रहेगी।विधानसभा की प्रवर समिति ने इस बात को लेकर सहमति जता दी है कि सन 2011 की जनगणना के आधार पर जिस तरह सन 2018 के निकाय चुनाव हुए थे, वैसे ही ओबीसी आरक्षण इस बार के चुनाव में भी दिया जाएगा।गैरसैण विधानसभा सत्र के दौरान पेश किए गए नगर निकाय संशोधन विधेयक को प्रवर समिति में भेजा गया था। भाजपा विधायकों की मांग थी कि नगर निकाय संशोधन विधेयक में ओबीसी सर्वे के लिए मानक तय किए जाएं। इससे राज्य से बाहर से आए लोगों को राज्य में ओबीसी का लाभ नहीं मिल पाएगा।इस पर स्पीकर ने संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रवर समिति बनाई, जिसमें सदस्य के रूप में भाजपा विधायक विनोद चमोली और मुन्ना सिंह चौहान,कांग्रेस विधायक ममता राकेश, हरीश धामी व बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद को शामिल किया गया।कांग्रेस ने निकाय चुनाव को लेकर पार्टी को संगठनात्मक दृष्टि से वार्ड स्तर पर मजबूत करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। साथ ही नगर निकाय चुनाव को लेकर तैयारियां को अंतिम रूपदिया जा रहा है। हरिद्वार जिले के प्रभारी प्रकाश जोशी ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि 21 नवंबर बूथ, ब्लॉक से महानगर तक की कमेटियों का गठन कर लिया जायेगा। इसके साथ ही भाजपा सरकार पर निकाय चुनाव टालने के आरोप लगाए। कांग्रेस के हरिद्वार जिले के प्रभारी एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी ने कहा पूरे प्रदेश में संगठन चुनाव चल रहे हैं जिसमें हरिद्वार की जिम्मेदारी पार्टी ने उन्हें दी है ,उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर संगठन चुनाव पर चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि जिले में बूथों की कमेटी का गठन अगले सात दिनों में पूरा कर दिया जाएगा उससे पूर्व ब्लॉक और महानगर की कमेटियों का गठन भी जल्द किया जाएगा। उन्होंने कहा सरकार आम आदमी की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पा रही है। पहाड़ पूरे खाली हो रहे हैं बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। बहन बेटियां सुरक्षित नहीं है आएं दिन नई घटनाएं सामने आती हैं। उन्होंने कहा नारायण दत्त तिवारी सरकार में जो उद्योग लगे वही है और कई सरकार की नीतियों से बंद हो गए लेकिन नए उद्योग सरकार नहीं लाई। वहीं उन्होंने सरकार पर स्थानीय निकाय चुनाव को टालने का आरोप लगाया। हरिद्वार से लोकसभा प्रत्याशी रहे वीरेंद्र रावत ने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा उप चुनावों में हुई हार से भाजपा घबराई हुईं है और निकाय चुनाव करवाने से डर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है और पार्टी के पास हर सीट पर मजबूत प्रत्याशी है। उन्होंने कहा कि चाहें जब मर्जी चुनाव हो जीत कांग्रेस की ही होनी है। झबरेड़ा विधायक एवं ग्रामीण जिलाध्यक्ष वीरेंद्र जाती ने कहा कि कांग्रेस से लगातार लोग जुड़ रहे हैं पार्टी की रीति नीतियों से प्रभावित हैं और भाजपा के झूठे वादों को भली भांति समझ चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस को ही लोग सत्ता में देखना चाहते हैं। शायद यही हार का डर भाजपा को निकाय चुनाव टालने के लिए मजबूर कर रहा है। (लेखक राजनीतिक चिंतक है) ईएमएस/ 23 नवम्बर 24