- जंगली हाथियों को नियंत्रित करने एक भी विशेषज्ञ नहीं भोपाल (ईएमएस)। बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत के बाद मप्र सरकार और वन विभाग सतर्क हो गया है। उधर, हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में मप्र शासन ने अपना जवाब पेश किया। इसमें अवगत कराया कि प्रदेश में आने वाले जंगली हाथियों को नियंत्रित करने के लिए कोई विशेषज्ञ नहीं है। दूसरे प्रदेश के विशेषज्ञ की मदद ली जाएगी। इस जवाब को रिकार्ड पर लेकर मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने पूछा कि किस प्रदेश के विशेषज्ञ की मदद ली जाएगी। इस संबंध में जानकारी प्रस्तुत करें। युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को सुझाव पेश करने के आदेश जारी करते हुए प्रकरण की अगली सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की है। उधर, मप्र के वन अधिकारी अब हाथियों के साथ रहवास, प्रबंधन के तौर-तरीके सीखने के लिए तमिलनाडु और कर्नाटक का अध्ययन दौरा करेंगे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-जीव) एवं मुख्य वन्य-जीव अभिरक्षक व्ही.एन. अम्बाडे ने इसके लिये निर्देश जारी कर दिये हैं। अम्बाडे ने बताया कि यह अध्ययन दल 30 नवम्बर तक अध्ययन करेगा। बता दें, रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन के अनुसार जंगली हाथियों को पकडऩे का कदम अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए, लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के जंगलों में प्रवेश झुंड मध्य प्रदेश के करते हैं। इससे किसानों फसलें बर्बाद होती हैं और घरों में तोडफ़ोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। कुछ मामलों में जंगली हाथियों द्वारा किए गए हमलों में लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है। जंगली हाथियों को प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर फारेस्ट (पीसीसीएफ) वाइल्डलाइफ के आदेश पर ही पकड़ा जा सकता है। जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आते हैं और पकड़े जाने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व में भेजकर प्रशिक्षण दिया जाता है। इस दौरान हाथियों को यातनाओं का सामना करना पड़ता है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया था कि पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का पूरा विवरण पेश किया जाए। सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट मैं बताया गया कि वर्ष 2017 से अब तक 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया है, जिसमें से दो हाथियों को छोड़ा जाना है। एक हाथी को छोडऩे के लिए विदेश से कालर आइडी मंगाई गई है। 23 को जाएगा पहला दल तमिलनाडु और कर्नाटक के अध्ययन दौरे के दौरान वन अधिकारियों का अध्ययन दल मानव-हाथी संघर्ष प्रबंधन रणनीतियाँ, प्रभावी अवरोध, बंदी प्रबंधन, सामुदायिक सहभागिता और एआई के उपयोग विषय पर अध्ययन करेगा। इस संबंध में क्षेत्र संचालक, संजय टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व और वन मण्डलाधिकारी उत्तर शहडोल, उमरिया, पश्चिम मण्डला, पूर्व मण्डला, सीधी, दक्षिण शहडोल, कटनी और अनूपपुर वन मण्डल को आदेश जारी कर दिए हैं। अम्बाडे ने बताया कि राज्य वन अधिकारियों के 2 बैच कर्नाटक और तमिलनाडु के अध्ययन दौरे पर जाएंंगे। दोनों बैचों के लिये एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ एल. कृष्णमूर्ति समन्वयक होंगे। प्रथम अध्ययन दल 23 नवम्बर तक अध्ययन करेगा, जिसमें टीम प्रभारी आईएफएस अमित कुमार दुबे एवं फील्ड डायरेक्टर संजय टाइगर रिजर्व के नेतृत्व में उप संचालक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व, डीएफओ शहडोल उत्तर, उमरिया, मण्डला पश्चिम और सीधी वन संभाग के साथ एक-एक रेंज अधिकारी कान्हा, बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व, शहडोल उत्तर, उमरिया, मण्डला पश्चिम और सीधी वन संभाग, पशु चिकित्सक संजय टाइगर रिजर्व के अधिकारी प्रथम बैच में शामिल रहेंगे। 25 को जाएगा दूसरा दल दूसरा अध्ययन दल 25 से 30 नवम्बर तक अध्ययन करेगा। इसमें टीम प्रभारी डॉ. अनुपम सहाय आईएफएस एवं फील्ड डायरेक्टर बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व टीम में डिप्टी डायरेक्टर संजय टाइगर रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व बफर, डीएफओ शहडोल दक्षिण, मण्डला पूर्व, कटनी, अनूपपुर वन संभाग, एडीजी संजय टाइगर रिजर्व, एसडीओ शहडोल दक्षिण, मण्डला पूर्व, कटनी, अनूपपुर वन संभाग, एक-एक रेंज अधिकारी संजय टाइगर रिजर्व, शहडोल दक्षिण, मण्डला पूर्व, कटनी, अनूपपुर वन संभाग और पशु चिकित्सक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व शामिल रहेंगे। डिंडौरी में ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर जिले के पश्चिम करंजिया वन परिक्षेत्र के गांवों में जंगली हाथियों का डेरा लोगों के लिए दहशत का कारण बना हुआ है। हाथियों के दल ने रविवार देर रात इमली टोला में बने वनरक्षक के आवास पर हमला बोलकर घर की दीवार तोड़ डाली। संयोग से घटना के समय घर में कोई नहीं था। सबसे ज्यादा उत्पात एक हथिनी मचा रही है, जिसके बच्चे की कुछ समय पहले ही मौत हुई थी। आसपास के ग्रामीण अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं। वन विभाग भी हालात पर सतत नजर बनाए हुए हैं। वन परिक्षेत्र अधिकारी प्राची मिश्रा ने बताया कि चार हाथियों का यह दल पश्चिम करंजिया वन परिक्षेत्र क्षेत्र में सक्रिय है। यह दल मूल रूप से छत्तीसगढ़ का है। इनमें एक हथिनी है, जो अत्यधिक उत्तेजित है। इसका कारण चार माह पहले उसके एक बच्चे की मौत को माना जा रहा है। इसके साथ दो वयस्क हाथी और एक बच्चा है। वन परिक्षेत्र अधिकारी ने बताया कि बहुत ज्यादा गुस्से में नजर आ रही हथिनी ने ही हाल की घटनाओं सभी आवासों को तोड़ा है। विनोद/ 21 नवम्बर 24