बेंगलुरु(ईएमएस)। अब सरकारी अस्पताल में भी बिना पैसों के इलाज नहीं होगा। इसकी शुरुआत कर्नाटक ने कर दी है। यहां ओपीडी से लेकर ब्लड टेस्ट कराने तक का पैसा देना होगा। इस संबंध में राज्य सरकार ने सर्कुलर जारी कर बताया है कि मेडिकल सेवाओं के शुल्क में संशोधन कर इन्हें बढ़ा दिया गया है। इस फैसले को तुरंत प्रभाव से लागू भी कर दिया गया। अभी मरीज बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के तहत सरकारी अस्पतालों में इलाज कराते हैं। लेकिन अब मरीजों को इन अस्पतालों में इलाज के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। राज्य सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों में मेडिकल सेवाओं के शुल्क बढ़ा दिए हैं। बेंगलुरु सरकारी अस्पतालों में बढ़ी हुई दरें लागू भी कर दी गई हैं। इधर, बीजेपी ने सरकारी अस्पताल में मेडिकल सेवाओं का शुल्क बढ़ाए जाने के राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कांग्रेस की गांरटी योजना के लिए राज्य का धन भंडार खाली किया जा रहा है। कर्नाटक में ओपीडी रजिस्ट्रेशन फीस को 10 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये कर दिया गया है। इनपेशेंट एडमिशन चार्ज 25 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है। ब्लड टेस्ट का शुल्क 70 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये कर दिया गया है। वॉर्ड चार्जेज 25 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिए गए हैं। इसी तरह हॉस्पिटल वेस्ट मैनेजमेंट शुल्क 10 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिए गए हैं। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव का कहना है कि हम शुल्क को संशोधित कर रहे हैं, जो बहुत पहले तय किया गया था। कुछ क्षेत्रों में हमने उनमें 10 फीसदी या 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है। जैसे- जो शुल्क पहले रुपये था, उसमें संशोधन कर उसे 20 रुपये कर दिया गया है और 20 रुपये शुल्क को बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हम पहले के समय की कीमतों की तुलना आज की कीमतों से नहीं कर सकते। यह लोगों पर बोझ नहीं है. ये किफायती कीमतें हैं इसलिए ये कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। अब हम जो भी करते हैं, लोग तुरंत गारंटी योजनाओं को निशाना बनाना शुरू कर देते हैं। उनका आरोप है कि हमने इन योजनाओं की वजह से कीमतें बढ़ा दी हैं। हालांकि पिछली सरकारों ने भी पानी के बिल, बिजली बिल और कई अन्य सेवाओं के शुल्क में संशोधन किया है। वीरेन्द्र/ईएमएस 21 नवंबर 2024