नई दिल्ली,(ईएमएस)। देशभर में दूध और उससे बने उत्पादों का सेवन बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बीमार लोग प्रतिदिन करते हैं। दूध में मिलावट की समस्या स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है और यह दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है, जिनके परिणामस्वरूप गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं। दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए आमतौर पर इसमें पानी मिलाया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो नहीं होता, लेकिन जब इसमें अन्य हानिकारक रसायन मिलाए जाते हैं, तो समस्या गंभीर हो जाती है। यूरिया, जो सामान्यतः कृषि में उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है, मिलावटी दूध में पाया जाता है। यह दूध की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और शरीर के कई अंगों जैसे गुर्दे और लीवर पर गंभीर प्रभाव डालता है। इसमें स्टार्च, डिटर्जेंट और रसायनों का मिश्रण होता है, जो दूध के प्राकृतिक पोषण को नष्ट कर देता है। मिलावटी दूध में फार्मेल्डेहाइड जैसी रासायनिक तत्व भी हो सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं और जीन में बदलाव का कारण बन सकते हैं। मिलावटी दूध में रासायनिक तत्वों की मौजूदगी से कैंसर के मामलों में 30 फीसदी तक वृद्धि हो सकती है। यूरिया, फार्मेल्डेहाइड और अन्य रसायनों के कारण यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि ये कैंसर जैसी बीमारियां पैदा कर सकते हैं। मिलावटी दूध का सेवन करने से गुर्दे, लीवर और अन्य अंगों को भी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा इस दूध में प्रोटीन की मात्रा को कृत्रिम रूप से बढ़ाया जा सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को भ्रमित किया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 68 फीसदी दूध के नमूने मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक हर साल करीब 60 करोड़ लोग खाद्य मिलावट के कारण बीमार पड़ते हैं, जिनमें से कई मामले मिलावटी दूध के होते हैं। मिलावटी दूध से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक हो सकता है। इस समस्या से बचने के लिए दूध और इसके उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। सिराज/ईएमएस 21 नवंबर 2024