-पीएम2.5 माइक्रोन कण, दुनियाभर में इसकी सबसे ज्यादा मात्रा भारत में नई दिल्ली,(ईएमएस)। दुनिया में होने वाली हर आठ में से एक मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है? वायु प्रदूषण तंबाकू से भी ज्यादा खतरनाक होता है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021 में दुनियाभर में तंबाकू से अनुमानित 75 से 76 लाख मौतें हुई होंगी। जबकि वायु प्रदूषण से 81 लाख मौतें यानी दुनिया में 12 फीसदी मौतों का कारण जहरीली हवा है। वहीं, दुनियाभर में हर साल एक करोड़ से ज्यादा मौतें हाई ब्लडप्रेशर के कारण होती हैं। इससे चिंता बढ़ रही है कि देश की राजधानी दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्युआई) का स्तर 500 के करीब है यानी एक्युआई गंभीर श्रेणी में है। जब ये गंभीर श्रेणी में आ जाता है तो तंदरुस्त लोग भी बीमार हो सकते हैं। रिपोर्ट बताती है कि सबसे बड़ा रिस्क पीएम2.5 है। पीएम2.5 का मतलब 2.5 माइक्रोन का कण। ये बहुत ही बारीक कण होता है। दुनियाभर में पीएम 2.5 की सबसे ज्यादा मात्रा भारत में ये इंसान के बाल से भी 100 गुना ज्यादा पतला होता है और इतना छोटा है कि नाक और मुंह के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। जैसे ही ये हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो दिल और फेफड़ों को प्रभावित करता है। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में पीएम2.5 के कारण 78 लाख मौतें हुई थीं यानी वायु प्रदूषण के कारण जितनी मौतें हुई थीं उनमें से 96 फीसदी से ज्यादा की वजह यही कण था। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण के कारण होने वाली 90 फीसदी से ज्यादा बीमारियों का कारण भी यही छोटा सा कण होता है। 2024 की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण जहरीली हवा थी। सबसे ज्यादा खतरा साउथ एशियाई और अफ्रीकी देशों में है। रिपोर्ट से पता चलता है कि 81 लाख मौतों में से 58 फीसदी की वजह वातावरण में मौजूद प्रदूषण था, जबकि 38 फीसदी मौतें घरों के अंदर मौजूद प्रदूषण की वजह से हुई थीं। चिंता की बात यह है कि पांच साल से छोटे बच्चों की मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण भी वायु प्रदूषण है। इतने छोटे बच्चों की मौतों की सबसे बड़ी वजह है, जबकि वायु प्रदूषण के कारण 2021 में पांच साल से छोटे सात लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। इतना ही नहीं, साउथ एशिया और अफ्रीकी देशों में जन्म के बाद पहले महीने में होने वाली 30 फीसदी से ज्यादा मौतों का कारण भी जहरीली हवा ही है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल तंबाकू की वजह से 10 लाख के आसपास लोग मारे जाते हैं जबकि वायु प्रदूषण के कारण 21 लाख लोग मारे गए थे यानी करीब दोगुना। इस हिसाब से भारत में हर महीने औसतन 1.75 लाख और हर दिन 5,753 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से होती है। सिर्फ भारत में ही पांच साल से कम उम्र के 1.69 लाख बच्चों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई थी। ये आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा था। दूसरे नंबर पर नाइजीरिया था, जहां 1.14 लाख बच्चे तो पाकिस्तान में 68 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थीं। रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण के कारण होने वाले अस्थमा 5 से 14 साल की उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। 15 फरवरी 2013 को लंदन में 9 साल की एला किस्सी-डेब्रा की अस्थमा अटैक से मौत हो गई थी। वह दुनिया की पहली इंसान थी, जिनके डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह वायु प्रदूषण दर्ज था। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे जहरीली हवा साउथ एशियाई देशों में है। वायु प्रदूषण के कारण दुनिया में जितनी मौतें हुई थीं, उनमें आधी से ज्यादा सिर्फ भारत और चीन में हुई थी। चीन में 23 लाख तो भारत में 21 लाख लोगों की मौत का कारण वायु प्रदूषण था। हवा में मौजूद पीएम2.5 सबसे बड़ा खतरा है, क्योंकि इससे बेमौत ही लोग मारे जा रहे हैं और हार्ट डिसीज, लंग कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। भारत में हर एक लाख आबादी में से 148 की मौत वायु प्रदूषण से होती है। ये वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है। पीएम2.5 में नाइट्रेट और सल्फेट एसिड, केमिकल, मेटल और धूल-मिट्टी के कण होते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि फेफड़ों में काफी अंदर तक घुस सकते हैं और गंभीर रूप से बीमार कर सकते हैं। इसी साल जनवरी में एक स्टडी सामने आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि दुनियाभर में पीएम 2.5 की सबसे ज्यादा मात्रा भारत में है। वहीं, दिल्ली में इसकी मात्रा सबसे ज्यादा है। इस स्टडी में दावा किया गया था कि सर्दी के मौसम में भारत में घर के अंदर की हवा बाहर की हवा से 41फीसदी ज्यादा प्रदूषित होती है। एक स्टडी में बताया गया था कि शहरी इलाकों में वायु प्रदूषण नॉन-स्मोकर्स में लंग कैंसर के खतरे को बढ़ा रहा है। सिराज/ईएमएस 21 नवंबर 2024