| महाराष्ट्र और झारखण्ड विधानसभाओं के चुनाव समाप्त हो गए । अब 23 नवमबर को नतीजे आएंगे ,तब तक सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी,नेता और कार्यकर्ता थकान मिटायेंगे और जब उन्हें नींद आएगी तो सभी को ख्वाब में सत्ता-सुंदरी नर्तन करती दिखाई देगी। ऐसा शुरू से होता आया है ,लेकिन एक मै हूँ जिसके सपने में कोई सत्ता-सुंदरी नहीं आती । मेरे सपनों में आता है तो यूट्यूब का डायमंड प्ले बटन। भारत में 247 हम बिरादरी वालों के पास ये डायमंड प्ले बटन है। दुनिया में हर इंसान को सपने आते है । कहते हैं कि सपने तो जानवर भी देख्छ्ते हैं ,पशु-पक्षी भी देखते हैं। सबके सपने अपने-अपने ढंग के होते है। नेताओं को सपने में सत्ता सुंदरी दिखाई देती है तो 85 करोड़ जनता को सपने में रोटी दिखाई देती है । मजदूर को दिहाड़ी ,नौजवान को नौकरी ,उद्योगपति को मुनाफा और अपराधियों को बंदूकें। बच्चों को सपने में खिलौने तथा चॉकलेट्स दिखाई देती हैं ,बुजुर्गों को नर्क या स्वर्ग। स्वप्नों के बारे में हमारे प्रिय कवि गोस्वामी तुलसीदास जी कह गए हैं कि -मोह निशा सब सोवनहारा। देखहिं स्वप्न अनेक प्रकारा।।यानि स्वप्न देखना सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है। मौलिक एकदम मौलिक अधिकार । इसका जिक्र संविधान में भले न हो लेकिन हर कोई स्वप्न देख सकता है । स्वप्न देखे ही नहीं जाते बल्कि दिखाए भी जाते है। इन दोनों ही क्रियाओं पर न कोई टैक्स लगता है और न कोईपाबन्दी। कोई तुगलक,कोई हिटलर ,कोई मुसोलनी स्वप्न देखने पर पाबन्दी लगा भी दे तो भी आप स्वप्न देख सकते हैं ,ये बात और है कि तानाशाहों के राज में आप न अपने स्वप्न का जिक्र कर सकते हैं और न उसमें रंग भर सकते हैं।वाहन सपने देखने का अधिकार केवल तानाशाह को होता है , स्वप्न देखने के लिए नींद आना जरूरी नहीं है । आप चाहें तो खुली आँखों से भी स्वप्न देख सकते हैं। सपनों कोई कोई जात-बिरादरी या सम्प्रदाय नहीं होता। सपने देखने वाले की जरूरत के हिसाब से ही आएं -जाएँ ये जरूरी नही। कभी-कभी आप ऐसे सपने भी देख सकते हैं जिनसे आपका दूर-दूर का भी कोई नाता-रिश्ता न हो। सपने किस पदार्थ से बने होते हैं ये मै नहीं जानता । लेकिन ये सपने टूटते भी हैं ,इसलिए लगता है कि सपने भी या तो कांच के होते हैं या मिटटी के। सपने किसी धातु से बने होते तो आसानी से टूटते नही। सपनों को लेकर तमाम धारणाएं हैं। अडानी-अम्बानी के सपने दूसरी तरह के होते होंगे। कल जो बीत गया आज वो सपना हो गया है आज जो बीत जायेगा कल सपना हो जायेगा। इसी तरह ये सारे जीवन की कार्यवाही सपना हो जाती है। हमारी तमाम चिंताएं,आकांक्षाएं एक सपना ही तो हैं। सपना आता है और पलक झपकते चला भी जाता है। सपनों के बारे में हमारे आराध्य भगवान शिव का वक्तव्य आधिकारिक माना जा सकता है। भगवान शिव जी कहते हैं कि - उमा कहहुँ मैं अनुभव अपना। सत हरि भजन जगत सब सपना।। सपने में कोई भी आ -जा सकता है । सांप,बिच्छू ,शेर,चीत। बिल्ली के ख्वाब में तो छिछड़े आते हैं। हम सनातनी लोग सपनों को बेहद गंभीरता से लेते है। हमारे ज्योतिषियों ने तो सपनों को लेकर उपचार भी तलाश रखे हैं । मसलन यदि आपके सपने में सांप नजर आएं तो सांपों की उपस्थिति प्रलोभन, शक्ति और कामुकता सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हो सकती है। सपने के संदर्भ के आधार पर, साँप सकारात्मक और नकारात्मक दोनों शक्तियों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।पंडित जी आपको फौरन कालसर्प योग पूजा करने के लिए कह सकते हैं। सपने में शेर दिखाई दे तो हम देवी कि नाम पर भंडारा कर देते हैं। दुर्भाग्य ये है कि सपने में सत्ता-सुंदरी आने पर ज्योतिषियों ने कोई उपाय नहीं बताया,जैसे मेरे सपने में यूट्यूब का डायमंड बटन आता है ,अब इसे हासिल करने के लिए मुझे कौन सी पूजा करना चाहिए ज्योतिषी नहीं बताता । क्योंकि डायमंड बटन किसी पूजा से नहीं बल्कि सब्सक्राइबर्स की संख्या के आधार पर मिलता है । आपके चैनल के कम से कम एक करोड़ ग्राहक हों तब कहीं जाकर आप डायमंड प्ले बटन का सपना देख सकते हैं। अब होता ये है कि - न नौ मन तेल होता है और न राधा नाचती है। बहरहाल संतोष की बात ये है कि हमारा देश दुनिया कि तमाम इंडेक्सों में भले ही नीचे से भी नीचे रहता हो किन्तु यूट्यूब कि डायमंड प्ले बटन कि मामले में दुनिया में दुसरे पायदान पर है। डायमंड बटन वाले सबसे ज्यादा चैनल अमेरिका में है. यहां पर लोग यू्ट्यूब पर काफी ज्यादा कंटेट क्रिएट करते हैं. डायमंड प्ले बटन उसी यूट्यूबर के चैनल को दिया जाता है, जिसके सब्सक्राइबर्स की संख्या 10 मिलियन तक पहुंच जाती है. यानी चैनल के 1 करोड़ सब्सक्राइबर हो गए हैं, तो डायमंड प्ले बटन मिल सकता है। इस लिस्ट में भारत दूसरे नंबर पर है. अमेरिका के बाद दूसरी कंट्री भारत ही है, जहां सबसे ज्यादा डायमंड प्ले बटन हैं. यहां 247 चैनलों को यह रिवार्ड यूट्यूबरस की ओर से मिला हुआ है. अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा लोग भारत में ही यूट्यूब पर कंटेट देखते और बनाते हैं। कंटेंट बनाना भी कोई छोटा-मोटा काम है क्या ?