न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है नचाती है। - प्रेमचंद कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। - रामधारी सिंह दिनकर
processing please wait...